जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब व महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी) की गड़बडि़यों के सामने आने के बाद आरबीआइ और केंद्र सरकार ने शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) में सुधार की जो कवायद शुरू की थी उसे अंजाम तक पहुंचाने की कवायद तेज होने जा रही है। अगर केंद्रीय बैंक की चली तो देश के शहरी सहकारी बैंकों के लिए न्यूनतम तीन सौ करोड़ रुपये के पूंजी आधार वाला एक शीर्षस्थ संगठन बनाया जा सकता है।
यह संगठन या शहरी निकाय शहरी सहकारी बैंकिंग सेक्टर में एक स्वनियामक एजेंसी के तौर पर काम करेगा। यह समूचे शहरी सहकारी बैंकिंग सेक्टर में छोटे-छोटे यूसीबी में एकीकरण करने और उन्हें एक बड़े बैं¨कग कंपनी के तौर पर स्थापित होने में मदद कर सकता है। शहरी सहकारी बैंकों की दशा सुधारने पर सुझाव देने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को सोमवार को आरबीआइ ने सार्वजनिक किया है।
सहकारी बैंकों को चार चरणों में बांटने की सिफारिश समिति ने शहरी सहकारी बैंकों को चार चरणों में बांट कर उनके नियमन की व्यवस्था करने की सिफारिश की है। पहली श्रेणी में 100 करोड़ रुपये की जमा राशि रखने वाले यूसीबी शामिल हैं। दूसरी में 100-1000 करोड़ रुपये की जमा राशि वाले यूसीबी, तीसरी श्रेणी में 1,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये और चौथी श्रेणी में 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा राशि वाले यूसीबी को शामिल किया गया है।
इसमें कहा गया है कि अगर यूसीबी एक संयुक्त पूंजी वाली कंपनी में बदलना चाहती है तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मतलब यह कि शर्तों के साथ यूसीबी को एक कामर्शियल बैंक में तब्दील करने की इजाजत दी जा सकती है। रिपोर्ट का लब्बोलुआब यही है कि अभी तक जैसे यूसीबी में चल रहा था वैसे आगे नहीं चलेगा।
देश में अभी 1500 यूसीबी
हाल के दो वर्षो में केंद्र सरकार और आरबीआइ की तरफ से इनको बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं लेकिन विशेषज्ञ समिति की तरफ से और दर्जनों सुझाव दिए गए हैं। सबसे अहम बात यह है कि समिति मानती है कि बैंकिंग सेक्टर में भारी बदलाव होने के बावजूद यूसीबी की उपयोगिता है। देश में अभी 1500 यूसीबी हैं। समिति का मानना है कि इनमें बड़े पैमाने पर एकीकरण की जरूर है लेकिन साथ ही नए यूसीबी का लाइसेंस देने की राह भी आगे खोली जा सकती है।
यही नहीं जिन यूसीबी का कामकाज बेहतर लगे, उन्हें दूसरे क्षेत्रों में विस्तार का मौका भी देने की सिफारिश इसमें की गई है। पूरे सेक्टर के लिए जो शीर्षस्थ निकाय की बात कही है उसे नियमन का भी अधिकार देने का सुझाव है। बाद में इस निकाय को एक यूनीवर्सल बैंक में भी तब्दील किया जा सकता है जिसमें दूसरे साझेदार बैंकों की हिस्सेदारी हो। निकाय ही बाद में दूसरे यूसीबी की पूंजी जरूरत आदि को देखेगा।