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कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा लगाकर कमा सकते हैं मोटी रकम, जानिए कितना मिल रहा ब्याज

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FD एक काफी सामान्य और अधिक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। कॉरपोरेट एफडी पर ब्याज निवेशक की आय में जुड़ता है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स कटता है। कॉरपोरेट एफडी में आशिंक निकासी की कोई सुविधा नहीं होती है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (Corporate FDs) उन निवेशकों के बीच लोकप्रिय है जो बैंक FD की तुलना में अधिक निश्चित रिटर्न चाहते हैं। हालांकि, एफडी की तरह, कॉरपोरेट एफडी पर मिलने वाला ब्याज आपकी आय में जुड़ जाता है और टैक्‍सेबल होता है। इसमें शामिल जोखिम के कारण ज्यादा लोग निवेश नहीं करते हैं। मजबूत और ज्यादा रेटिंग वाली कंपनियों की एफडी में जोखिम कम होता है। यह बिल्कुल उसी तरह से काम करती है, जैसे बैंक एफडी। इसके लिए फॉर्म कंपनी जारी करती है, कॉरपोरेट एफडी में ब्याज दर बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा होती है।

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भारत में फिक्स डिपॉजिट (FD) एक काफी सामान्य और अधिक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। लेकिन पिछले कुछ महीने से बैंक एफडी पर ब्याज दरों में आ रही गिरावट के कारण लोग इसका विकल्प तलाश रहे हैं, ताकि बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकें। ऐसे निवेशक एएए रेटिंग वाले कॉरपोरेट फिक्स डिपॉजिट्स (Corporate FD) में भी निवेश शुरू कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप एक औसत निवेशक हैं, तो आपको अधिक जोखिम होने के कारण कॉरपोरेट एफडी में निवेश की सलाह नहीं दी जाती है।

Shriram transport finance 12 से 60 महीने तक की एफडी पर मंथली फ्रीक्वेंसी के आधार पर 7.48 फीसद की दर से ब्याज दे रहा है।

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PNB Housing Finance में 12 से 120 महीने की अवधि पर मंथली फ्रीक्वेंसी के आधार पर 6.64 फीसद की दर से ब्याज मिलेगा। 

Bajaj Finance 12-60 महीने की अवधि पर 6.60 फीसद की मंथली फ्रीक्वेंसी के आधार पर ब्याज दे रहा है।  

HDFC में 33-99 महीने की अवधि पर 6.60 फीसद की दर से ब्याज मिल सकता है। 

ICICI Homes Finance 12-120 की अवधि पर 6.50 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है।

Mahindra Finance 12-60 महीने की अवधि पर 5.90 की दर से ब्याज दे रहा है। 

LIC Housing Finance 12-60 महीने की अवधि पर 5.85 फीसद की दर से ब्याज दे रहा है।

डिफॉल्ट होने का खतरा

बैंक एफडी में निवेश सुरक्षित माना जाता है, तो कॉरपोरेट एफडी मे अधिक जोखिम है। यह निवेश उत्पाद न तो पूंजी की और न ही ब्याज भुगतान की सुरक्षा की गारंटी देता है। अगर कंपनी वित्तीय संकट का सामना करती है, तो एक निवेशक के रूप में आप अपने धन को खो भी सकते हैं। कॉरपोरेट एफडी में आशिंक निकासी की कोई सुविधा नहीं होती है। इसके अलावा, एक निवेशक को एफडी परिपक्व होने से पहले निकासी करने के पर कुछ ब्याज गंवाना पड़ेगा। कॉरपोरेट एफडी पर ब्याज निवेशक की आय में जुड़ता है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स कटता है। 

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