Sheetala Ashtami 2022: शीतला अष्टमी का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. शीतला अष्टमी को बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार को मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में मानाया जाता है. इस वर्ष शीतला अष्टमी 25 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. इस माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इस कारण शीतला अष्टमी से एक दिन पहले ही भोग तैयार कर लिया जाता है. ऐसे में जानते हैं शीतला अष्टमी की विधि, मुहूर्त और खास बातें.
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त (Sheetala Ashtami Shubh Muhurat)
शीतला अष्टमी इस बार, शुक्रवार 25 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 41 मिनट तक है. अष्टमी तिथि का आरंभ 25 मार्च 12 बजकर 9 मिनट से होगा, जबकि अष्टमी तिथि का समापन 25 मार्च को 10 बजकर 4 मिनट पर होगा.
शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetala Ashtami 2022 Puja Vidhi)
शीतला अष्टमी के दिन सुबह उठकर पानी में कुछ बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. नारंगी या लाल रंग के साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. शीतला माता की पूजा के लिए 2 थाली सजाएं. एक थाली में रोटी, पूआ, दही, नमक पारे, बाजरा और सप्तमी के दिन बने मीठे चावल रखें. साथ ही दूसरी थाली में आटे का दीपक बनाकर रखें. इसके साथ ही इसमें अक्षत, रोली, चंदन, पैसे और एक लोटा ठंढ़ा पानी रखें. इसके बाद घर के पूजा स्थल पर शीतला माता की पूजा करें. इसके बाद थाली में रखा भोग लगाएं. फिर नीम के पेड़ में जल अर्पित करें.
शीतला माता की आरती (Sheetala Mata Ki Aarti)
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता
ओम् जय शीतला माता…
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता
ओम् जय शीतला माता…
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता
वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता
ओम् जय शीतला माता..
इन्द्र मृदङ्ग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता
ओम् जय शीतला माता..
घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजै मन भाता
करै भक्तजन आरती, लखि लखि हर्षाता
ओम् जय शीतला माता.
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता
ओम् जय शीतला माता..
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता
ॐ जय शीतला माता..
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता
ओम् जय शीतला माता..
बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता
ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता
ओम् जय शीतला माता…
शीतल करती जननी, तू ही है जग त्राता
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन, तू सब की घाता
ओम् जय शीतला माता….
दास विचित्र कर जोड़े, सुन मेरी माता
भक्ति आपनी दीजै, और न कुछ भाता
ओम् जय शीतला माता…
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता
ओम् जय शीतला माता…