देश में सरकारी प्रयासों के बाद भी वेबसाइट हैकिंग के मामलों में तेजी रुकने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी आकंड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में देशभर में करीब 80 हजार वेबसाइट हैक की जा चुकी हैं। सरकार का दावा है कि इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक, साल 2019 में 24,768, साल 2020 में 26,121 और साल 2021 के दौरान 28,897 भारतीय वेबसाइट हैक की गईं। देश में साइबर सुरक्षा की घटनाओं पर नजर रखने और निगरानी बनाए रखने के लिए भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल यानि सर्ट-इन को अधिकृत किया गया है।
हैकिंग रोकने के सरकारी प्रयास
- सर्ट-इन लगातार नए साइबर खतरों को लेकर लेकर सलाह जारी करता रहता है, जिससे वेबसाइट को हैक होने से बचाया जा सके।
- गृह मंत्रालय की तरफ से ट्विटर हैंडल साइबर दोस्त चलाया जाता है, जिसमें समय-समय पर संभावित खतरों से आगाह किया जाता है।
- रिजर्व बैंक की तरफ से भी वित्तीय व्यवस्था को साइबर हमलों से बचाने के लिए एडवायजरी जारी की जाती रहती है।
होस्टिंग से पहले ऑडिट
सरकारी वेबसाइट को हैकिंग से बचाने के लिए उनका होस्टिंग से पहले साइबर सुरक्षा के संबंध में ऑडिट किया जाता है। होस्टिंग के बाद भी वेबसाइट और एप्लीकेशन का ऑडिट नियमित तौर पर किया जाता है। इसके लिए सर्ट इन की तरफ से केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों व विभागों के साथ साथ राज्य सरकारों व उनके महत्वपूर्ण संगठनों को साइबर हमले से मुकाबले के लिए साइबर संकट प्रबंध योजना भी तैयार की गई है।