इस रिपोर्ट में सामुदायिक जुड़ाव और भागीदारी, मजबूत नीतिगत उपाय, कुशल वितरण प्रणाली, साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और व्यापक निगरानी जैसी शासन की अनूठे प्रयोगों के परिणाम सामने लाने का प्रयास किया गया है।
मध्य प्रदेश पहली बार राज्य में बीते डेढ़ दशक में सुशासन और विकास के लिए एक खास रिपोर्ट जारी करने जा रहा है। इस रिपोर्ट में सामुदायिक जुड़ाव और भागीदारी, मजबूत नीतिगत उपाय, कुशल वितरण प्रणाली, साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और व्यापक निगरानी जैसी शासन की अनूठे प्रयोगों के परिणाम सामने लाने का प्रयास किया गया है।
‘मध्य प्रदेश सुशासन और विकास रिपोर्ट (एमपीएसडीआर) -2022’ के इस पहले संस्करण का लोकार्पण सोमवार को राजधानी के इंडिया हैबिटैट सेंटर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। समारोह को केन्द्र सरकार के क्षमता निर्माण आयोग में सदस्य (मानव संसाधन) डॉ. आर. बालसुब्रमण्यम, पूर्व कार्यकारी निदेशक, यूएनईपी, एरिक सोलहेम तथा केन्द्र सरकार में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव वी. श्रीनिवास संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के सांसद एवं केन्द्र में प्रतिनियुक्त सभी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी, विभिन्न देशों के राजदूत और विकास भागीदार और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के गणमान्य व्यक्तिगण शामिल होंगे।
अधिकारियों बोली- पहली बार आ रही ऐसी रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के विषय विशेषज्ञों के बहुमूल्य सुझाव और मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न विभागों के प्रदर्शन के गहन शोध के नतीजों को शामिल किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि ‘मध्य प्रदेश सुशासन और विकास रिपोर्ट 2022’ अपनी तरह का पहला दस्तावेज है जो मध्य प्रदेश की अनूठी शासन प्रथाओं को सामने लाता है जिसमें सामुदायिक जुड़ाव और भागीदारी, मजबूत नीतिगत उपाय, कुशल वितरण प्रणाली, साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और व्यापक निगरानी शामिल है।
पांच खंडों में बंटी है यह रिपोर्ट
एमपीएसडीआर 2022 में 12 अध्याय हैं, जिन्हें पांच खंडों में वर्गीकृत किया गया है। राज्य में सुशासन के कारण विभन्नि क्षेत्रों में आए परिवर्तनों का दस्तावेजीकरण एवं सुशासन की कार्यप्रणालियों, इसमें विभिन्न हितधारकों की साझेदारी तथा इसे मापने के तरीक़ों का निरूपण करने का एक अनूठा प्रयास है। यह रिपोर्ट नीतिगत सुधार के परिपेक्ष्य में शासन व्यवस्था की स्थिति और उसके समक्ष चुनौतियो को रेखांकित करती है। रिपोर्ट के प्रथम खण्ड के अध्यायों में सुशासन की विशिष्टताओं का वर्णन, द्वितीय खण्ड कोविड-19 पर केन्द्रित है और महामारी के प्रबंधन में हुए बदलाव एवं विकास का विवरण है।
रिपोर्ट के चौथे और पांचवे अध्याय में यह सब शामिल
इसके अलावा तृतीय खण्ड में कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग एवं व्यापार, वित्तीय समावेशन एवं जैव विविधिता व पारंपरिक ज्ञान, आयुष, नगरीय विकास व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार के अध्याय, चतुर्थ खण्ड में, ‘पर्यवेक्षण व मूल्यांकन’, सतत् विकास लक्ष्यों के बुनियादी संकेतकों के साथ मध्यप्रदेश की तुलना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों के प्रदर्शन के साथ की गई है। रिपोर्ट का अंतिम खण्ड राज्य में प्रमुख क्षेत्रों के विकास और विकास के लिए कार्रवाई योग्य बिंदुओं और नीतिगत सिफारिशों के सुझाव हैं। राज्य में सुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2007 में सरकार के थिंक टैंक के रूप में ‘सुशासन और नीति विश्लेषण स्कूल’ की स्थापना की गई थी। अब इसे ‘अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान’ के नाम से जाना जाता है।