OILSEED PRODUTCION IN INDIA: भारत का तिलहन उत्पादन 4 साल में 19% बढ़ा है, फिर भी आयात पर निर्भरता बनी हुई है. तिलहन और विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता के कारण, भारत इन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है.
OILSEED PRODUTCION IN INDIA: भारत का तिलहन उत्पादन (OILSEED PRODUCTION) 2018-19 और 2021-22 के बीच 19 फीसदी बढ़ा है, यह अभी भी घरेलू मांग (DOMESTIC DEMAND) के 60 फीसदी से अधिक को पूरा करने के लिए कमोडिटीज के आयात पर निर्भर है. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2018-19 में 31.52 मिलियन टन तिलहन का उत्पादन किया, जो 2021-22 में 19 फीसदी बढ़कर 37.15 मिलियन टन हो गया है.
वास्तव में देश के तिलहन उत्पादन (OILSEED PRODUCTION) में पिछले चार वर्षों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, क्योंकि यह 2019-20 में 33.22 मिलियन टन और 2020-21 में 35.95 मिलियन टन था.
यहां तक कि आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, सोयाबीन का अनुमानित उत्पादन 2020-21 के दौरान 12.61 मिलियन टन के उत्पादन की तुलना में 2021-22 के दौरान 13.12 मिलियन टन था.
तिलहन और विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता के कारण, भारत इन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है और सरकार को इन वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए औचक जांच और निरीक्षण अभियान शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए भी छापेमारी की जा रही है.
रूस और यूक्रेन, जो देश वर्तमान में युद्ध में लगे हुए हैं, भारत को सूरजमुखी तेल के दो प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। संघर्ष से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनावों के कारण, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल की कीमतें पिछले दो महीनों में उनकी कम आपूर्ति के कारण तेजी से बढ़ी हैं.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल की औसत खुदरा कीमतों में तेज उछाल आया है.
1 जनवरी, 2022 को 161.71 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में 4 अप्रैल को सूरजमुखी तेल का औसत खुदरा मूल्य 184.58 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्च स्तर पर पहुंच गया.