मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की बीजेपी के लोग चुनाव जीतने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं और देश के लोगों को इनके हथकंडों को समझना होगा.
CM Ashok Gehlot on Bulldozer: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और लोकतंत्र खतरे में है. करौली में जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी उसकी हम सब ने निंदा की. उन्होंने आगे कहा कि बिना किसी जांच, बिना किसी को दोषी ठहराए किसी का मकान तोडने का अधिकार तो मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के पास भी नहीं होता. कानून के राज से ही देश चलता है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की बीजेपी के लोग चुनाव जीतने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं और देश के लोगों को इनके हथकंडों को समझना होगा.
‘बनाया जा रहा मुद्दा’
वहीं बीजेपी युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या करौली शहर में हाल में हुई हिंसा व आगजनी की घटना के पीड़ितों से मिलने के लिए बुधवार को राजस्थान आए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया था. बाद में सूर्या ने राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए. इस बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने यहां संवाददाताओं से कहा, “तेजस्वी सूर्या यहां किस काम के लिए आए. करौली में जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी उसकी हम सब ने निंदा की. उस वक्त भी हमनें कहा था कि ये लोग आग लगाने का काम करते हैं. उसके बाद इन लोगों ने करौली को मुद्दा बना लिया.”
‘नहीं होनी चाहिए ऐसी घटना’
गहलोत ने कहा, “करौली की घटना के बाद हमने दो दिन पुलिस अधिकारियों से बैठक की और कहा कि करौली जैसी और घटना नहीं होनी चाहिए. रामनवमी पर राजस्थान में किसी जगह अप्रिय घटना नहीं हुई जबकि देश में अनेक राज्यों में दंगे भड़क गए आग लगी व अब उनके मकान तोड़े जा रहे हैं.”
‘पीएम-सीएम के पास भी नहीं तोड़ सकते मकान’
उन्होंने आगे कहा, “बिना किसी जांच, बिना किसी को दोषी ठहराए किसी का मकान तोड़ने का अधिकार तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पास भी नहीं होता. कानून के राज से ही देश चलता है. ये लोग संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है.” वहीं सीएम गहलोत ने आंबेडकर जयंती पर यहां आंबेडकर सर्किल स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि ये आंबेडकर की बात करते हैं, जबकि इन्होंने जिंदगी में आंबेडकर को कभी नहीं माना, उनको स्वीकार नहीं किया.