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‘रेगिस्तान में जन्मा’ तरबूज है सेहत का खजाना, दुनियाभर में मिलती हैं 1 हजार से ज्यादा वैराइटीज़

गर्मियों का मौसम शुरू होते ही बाजार में तरबूज की बहार आ जाती है. तरबूज एक ऐसा फल है जो समर सीजन में सबसे ज्यादा खाया जाता है क्योंकि इसमें 90 फीसदी से ज्यादा पानी होता है और ये पोषक तत्वों का भंडार है. इसे खाने से लू नहीं लगती और शरीर में डिहाइड्रेशन नहीं होता है. आज हम आपको तरबूज से जुड़ी दिलचस्प बातें बताएंगे…

गर्मी का प्रकोप जारी है. इससे बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं. गर्मी से बचने के लिए कई भौतिक और अन्य तरीके अपनाए जा रहे हैं. लेकिन कुदरत जब कोई समस्या देती है तो उसका निदान भी प्रदान करती है. आजकल जहां देखो, गर्मी को शांत करने के लिए तरबूज नजर आ रहे हैं. यह गर्मी से बचाव का रामबाण फल है. कारण, इसमें 90 प्रतिशत से अधिक पानी होता है. भारत के लोग तरबूज पर फिदा हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह भारत का फल नहीं है. तरबूज को लेकर कई कहानियां और किंवदंतियां प्रचलित हैं. इसके बावजूद तरबूज का जवाब नहीं.

खोजबीन और इतिहास की पुस्तकों को पढ़ने के बाद यह तो तय है कि सातवीं शताब्दी के आसपास भारत में तरबूज का उदय हुआ. इससे सैंकड़ों साल पहले तक लिखे गए भारत के धार्मिक व आयुर्वेद के ग्रंथों में तरबूज का कोई वर्णन नहीं है. संस्कृत में तरबूज को कलिंगम या कालिंदम कहा गया है, लेकिन संस्कृत साहित्य में इसका वर्णन नहीं है. आयुर्वेद के जाने-माने ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में ग्रीष्म ऋतु के मनोहारी फल आम का तो वर्णन है, लेकिन उसमें तरबूज की न तो जानकारी है और न ही उसके लाभ-हानि का कोई जिक्र है.

वैसे इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि तरबूज विश्व का प्राचीनतम फल है, लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर पुख्ता जानकारी नहीं है. करीब 5 हजार वर्ष पूर्व मिस्र के मकबरों की दीवारों में उकेरे गए चित्रों में तरबूज दिखाई देता है. कहा यह भी जा रहा है कि इसका जन्म अफ्रीका के गरम रेगिस्तानी क्षेत्र में हुआ. उसके बाद यह यह मध्यपूर्व के ईरान, तुर्की आदि देशों से होता हुआ सौदागरों के जरिए भारत में आया. उसके बाद यह पूरी दुनिया में फैलता चला गया. आज अमेरिका, चीन और ब्राजील में तरबूज की सबसे अधिक खेती होती है.

तरबूज जंगली फल है या किसानी? इसको लेकर भी कई अगर-मगर हैं, लेकिन स्पष्ट है कि यह खरबूजा, खीरा, ककड़ी के परिवार का है, जिनकी फसल गर्मियों में होती है और गर्मी का शमन करने के लिए इन्हें लाभकारी माना जाता है. वैसे तो तरबूज मौसमी फसल है, परंतु मेक्सिको ऐसा देश है, जहां हर मौसम में इसकी खेती की जाती है. तरबूज का आकार गोल या अंडाकार होता है, लेकिन जापान ऐसा देश है, जहां चौकोर तरबूज उगाया जाता है. दुनियाभर में आजकल तरबूज की एक हजार से अधिक किस्में हैं और तरबूज ऐसा फल है, जिसके छिलकों से सब्जी भी बनाई जा सकती है. भारत में तरबूज की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक राज्यों में अधिक होती है. इसकी अधिकतर खेती नदियों की खाली खेती योग्य जमीनों पर की जाती है.

गर्मी से बचाव के लिए तरबूज सबसे हितकारी फल है. फूड एंड न्यूट्रिशियन कन्सलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार इस फल की विशेषता यह है कि इसमें 97 प्रतिशत पानी होता है. बाकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल्स होते हैं. यह शरीर में ग्लूकोज की कमी को पूरा करता है. तरबूज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह पेट की गड़बड़ियों को शांत रखता है. दोपहर में तरबूज खाने से सबसे अधिक लाभ होता है. आयुर्वेद के वैद्यराज यशवंत जाधव के अनुसार शुगर के मरीजों को इससे कोई परेशानी नहीं होती. यह हृदयरोग से बचाता है और रक्तचाप को संतुलित रखता है. यह सर्वहितकारी फल है. अगर इसे ज्यादा मात्रा में खा लिया जाए तो एलर्जी की समस्या हो सकती है और मितली आ सकती है.

भारत की अन्य भाषाओं में तरबूज के नाम है, जैसे गुजराती में तड़बूज, मराठी में कलिंगड़, मलयालम में थन्नीमथन, कन्नड़ में कालांगदी, तमिल में कोमाट‍्टी, तेलुगु में तरबूजम, बंगाली में तरमुज, इंग्लिश में Water Melon. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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