Weather Update झारखंड के कई जिलों में आज तेज गर्जना के साथ आंधी-पानी का पूर्वानुमान लगाया गया है। राजधानी रांची समेत करीब 10 जिलों में ओलावृष्टि को लेकर ओरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने तेज आवाज के साथ बिजली गिरने की आशंका जताई है।
रांची, जासं। Jharkhand Weather News, Jharkhand Weather Update राजधानी रांची समेत आसपास के जिलों में गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने पूर्वानुमान जारी करते हुए 2-4 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट का संकेत दिया है। हालांकि 22 अप्रैल के तीन दिनों बाद दोबारा चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोत्तरी की संभावना जताई जा रही है। लगातार बदलते मौसम में हमें अपनी सेहत और पेड़ पौधों का भी ख्याल रखना होगा। बता दें कि राज्य के कुछ स्थानों पर आंशिक बादल के साथ गर्जन और हल्के व मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है। साथ ही कहीं कहीं गर्जन के साथ वज्रपात और 40-50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा बहने की संभावना है। इसके लिए मौसम विभाग ने ओरेंज अलर्ट जारी किया है।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य की राजधानी रांची समेत रामगढ़, बोकारो, हजारीबाग, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहेबगंज, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला खरसावां में ओलावृष्टि की संभावना है। इसके लिए भी मौसम विभाग ने ओरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम में बदलाव होने पर 2-4 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में गिरावट के संकेत हैं। जिससे काफी हद तक गर्मी से राहत मिलने की संभावना है।
बता दें कि पिछले 24 घंटे में बोकारो के नावाडीह में 9.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है। तो, दूसरी ओर राज्य के उत्तर पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों में हीट वेव से लोगों को राहत नहीं मिली है। इस दरम्यान डाल्टेनगंज का तापमान सबसे अधिक 44.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। वहीं बारिश होने के बाद साहेबगंज का सबसे कम 21.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। राजधानी रांची की बात करें तो अधिकतम दो डिग्री गिरावट के साथ 39.8 और न्यूनतम 25.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
कृषि विभाग ने जारी किया बुलेटिन
मौसम में बदलाव और ओलावृष्टि की संभावना के मद्देनजर कृषि विभाग ने भी किसानों के लिए बुलेटिन जारी की है। कृषि क्षेत्र पर ओलावृष्टि का प्रभाव आधारित पूर्वानुमान जारी किया गया है।
- किसानों को रबी की जो भी फसल काटकर तैयारी के लिए रखी गई है उसे अविलंब सुरक्षित स्थानों पर रखें या प्लास्टिक से ढंककर रखें
- संभावित ओलावृष्टि को देखते हुए किसी भी फसल की कटाई न करें
- तैयार सब्जियों को अविलंब तोड़ लें
- अगर सब्जी का बिचड़ा तैयार करने के लिए नर्सरी में पौधा लगाए हैं तो नर्सरी के बचाव के लिए प्लास्टिक शीट तैयार रखें
- फलदार वृक्षों जैसे आम, लीची, अमरुद, पपीता को भी हेल नेट से ढंकने का प्रयास करें
- बारिश के दौरान वज्रपात की भी संभावना है। इसलिए बारिश के दौरान खेतों का रुख न करें
अगले चार दिनों तक राजधानी रांची का ये रहेगा तापमान
- 22 अप्रैल को अधिकतम 37 डिग्री जबकि न्यूनतम 26 डिग्री सेल्सियस
- 23 अप्रैल को अधिकतम 39 डिग्री जबकि न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस
- 24 अप्रैल को अधिकतम 40 डिग्री जबकि न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस
- 25 अप्रैल को अधिकतम 40 डिग्री जबकि न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस
हिट आइलैंड इफेक्ट से रांची का बिगड़ा मौसम
हिल स्टेशन के नाम से मशहूर राजधानी रांची की बढ़ती गर्मी ने पुराने सारे रिकार्ड को ध्वस्त कर दिया है। बिना बारिश हुए इतनी लंबी गर्मी शायद ही पहले नहीं हुई थी। इससे लगता है कि रांची शहर हिट आइलैंड इफेक्ट…के प्रभाव में आ गया है। बढ़ती आबादी, बढ़ते वाहन एवं बढ़ती ऊंची इमारतें इस प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस प्रक्रिया में कंक्रीट के जंगल एवं ऊंची इमारतें गर्मी को वापस वातावरण में उत्सर्जित करके शहर को गर्म करती है तथा हवाओं के बहने पर भी प्रभाव डालती है। समुद्रतल से रांची की ऊंचाई औसतन 600 मीटर है। जिसके चलते मैदानों की तुलना में बादल यहां कम ऊंचाई पर ही बनते हैं।
बादलों को धकेल रहीं ऊंची इमारतों से उठने वाली गर्म हवा
अब रांची शहर में ऊंची इमारतों से उठती हुई गर्म हवा इन बादलों को शहर के बाहर धकेल रही हैं। जिस वजह से रांची के आसपास की जगहों में तो बारिश हो रही है लेकिन रांची शहर इससे वंचित है। रांची शहर के आसपास नंगे पहाड़ों की वजह से भी गर्म हवा उठ रही हैं। यही नहीं बढ़ते शहरीकरण की वजह से यहां की मिट्टी या तो दब गई हैं या तो ठोस हो गई हैं और वो सारी गर्मी को वापस वातावरण में लौटा कर गर्मी को बढ़ा रही हैं…। उक्त बातें दैनिक जागरण के रिपोर्टर कुमार गौरव के साथ विशेष बातचीत के क्रम में पर्यावरणविद डा नितीश प्रियदर्शी ने कही।
घटती हरियाली ने बढ़ाई परेशानी
रांची शहर की अपनी जलवायु है जो यहां की ऊंची इमारतों की वजह से प्रभावित हो रही हैं। गर्म हवाएं इनमें फंसकर ऊपर उठकर बादलों को धकेल देती हैं। दूसरी ओर ये ऊंची इमारतें गर्म हवाओं को रोक कर शहर को धीरे धीरे गर्म करती हैं। अगर साथ में हरियाली होती तो शायद बादल संघनित होकर बरसते और गर्मी उतनी महसूस नहीं होती। मजेदार बात यह कि आज भी रांची जिले के जिन हिस्सों में अधिक हरियाली है वहां सामान्यत: कम तापतान रहता है।
रांची में खासकर मेन रोड, अपर बाजार, हिंदपीढ़ी, रातू रोड, सर्कुलर रोड, पिस्का रोड, कोकर, डोरंडा आदि जगह ज्यादा गर्म हो रहे हैं। इन जगहों पर ऊंची इमारतों का होना एवं हरियाली का कम होना अहम वजह है। जब तक शहर में हरियाली रही एवं ऊंची इमारतें कम थी तब तक यहां के लोग हिट आइलैंड इफेक्ट…से बचे रहे। इससे इतर, रांची शहर में जिस तरह से आबादी, वाहन एवं ऊंची इमारतें बढ़ी हैं गर्मी का प्रभाव भी बढ़ा है। वाहनों के चलते ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस बढ़ती हुई गर्मी से सतही जल भी सूख गए हैं। जिस वजह से अब बादल बनने की प्रक्रिया धीमी हो गई है।
जब तक सतही जल कुछ मात्रा में उपलब्ध था तब तक रांची में अप्रैल तक बारिश हुई लेकिन अब जो भी बादल बन रहे हैं या तो वो कमजोर हैं या हिट आइलैंड इफेक्ट…की वजह से शहर से बाहर निकल जा रहे हैं और कहीं और बरस रहे हैं। खासकर वैसी जगहों पर जहां का तापमान रांची शहर की तुलना में कम है।
अब ऐसा करेंगे तो हिट आइलैंड इफेक्ट से बचेंगे
डा नितीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अब जरूरी है रांची शहर में कुछ बदलाव लाया जाए- मसलन, जहां भी ऊंची इमारतें बनाना जरुरी हो वहां उसके आसपास घने वृक्षों या बगीचों को तैयार करें- दो इमारतों के बीच की दूरी अगर 200 मीटर से ज्यादा हो और बीच में हरियाली हो तो गर्मी को संतुलित किया जा सकता है- छोटे छोटे तालाबों जिसमें फव्वारे लगे हों का निर्माण बहुतायत में हो- वृक्ष अगर कट रहे हों तो उनकी जगह ज्यादा से ज्यादा फलदार पौधे लगाया जाए- जो भी बचे हुए तालाब हैं उनके चारों तरफ वृक्ष लगाएं जाएं- रांची के ऊपर बादल तो रोज आ रहे हैं हो सकता है कि बूंदाबांदी भी हो लेकिन ये कुछ समय तक ही राहत देगा- हिट आइलैंड इफेक्ट…से अगर बचना है तो शहर को फिर हरा भरा करना ही होगा…।