छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों का निर्धारण सरकारी बॉन्ड्स के यील्ड के आधार पर किया जाता है. साथ ही इसमें नागरिकों का हितों को भी ध्यान में रखा जाता है. अब बॉन्ड यील्ड बढ़ने पर उम्मीद की जा रही है छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में भी इजाफा होगा.
नई दिल्ली. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और सुकन्या समृद्धि (SSY) योजना जैसी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें लंबे समय से एक ही जगह टिकी हुई हैं. सरकार ने अंतिम बार इसमें संसोधन वर्ष 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में किया था. तब ब्याज दरों में कटौती की गई थी. इसके बाद से अब तक ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.
छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों का निर्धारण सरकारी बॉन्ड्स के यील्ड के आधार पर किया जाता है. साथ ही इसमें नागरिकों का हितों को भी ध्यान में रखा जाता है. यही कारण है कि कोरोना काल और उसके बाद भी गर्वनमेंट सिक्योरिटीज की यील्ड में गिरावट के बावजूद भी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती नहीं की गई है. अब सरकारी बॉन्ड्स की यील्ड में बढ़ोतरी हो रही है. इससे आस जगी कि सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी करेगी.
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हर तिमाही पर होती है समीक्षा
मनीकंट्रोल डॉट कॉम पर कॉर्पोरेट ट्रेनर जॉयदीप सेन के एक लेख के अनुसार छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों की समीक्षा हर तिमाही पर करती है. यह समीक्षा सेकेंडरी मार्केट में गर्वनमेंट बॉन्ड्स के यील्ड के आधार पर होती है. सरकारी बॉन्ड्स के ट्रेडेड लेवल के अनुसार लागत और बिक्री मूल्य के अंतर को निर्धारित करने का एक फॉर्मूला है. छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों को सरकारी बॉन्ड यील्ड से जोड़ने का फायदा यह है कि इससे बाजार ब्याज दरों की मूवमेंट का पता चलता रहता है और स्माल सेविंग स्किम्स की ब्याज दरें ज्यादा तार्किक ढंग से निर्धारित की जा सकती हैं. सरकारी बॉन्ड्स यील्ड मूवमेंट अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों से संबंधित वास्तविक और अपेक्षित इवेंट्स को रिफलेक्ट करता है.
एक ओर जहां बॉन्ड यील्ड छोटी बचत योजनाओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं सरकार इन्हें निर्धारित करते हुए नागरिकों के हित को भी ध्यान में रखती है. अगर बॉन्ड यील्ड कम होती है तो भी सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों को नहीं घटाती है. यही जून, 2020 के बाद हो रहा है. बॉन्ड यील्ड गिरा है लेकिन, सरकार ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है.
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सीनियर सीटिजन सेविंग स्कीम, जो पांच वर्ष में मैच्योर होनी थी कि ब्याज दर दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच 6.1 फीसदी वार्षिक थी. इस पर एक पर्सेंट प्वाइंट बचत (mark-up) जोड़ दें तो यह रेट 7.1 फीसदी हो जाता है. अप्रैल-जून 2022 तिमाही के लिए रेफरेंस बैंचमार्क दिसंबर 2021-फरवरी 2022 तिमाही का औसत है, तो दर को 7.4 फीसदी पर बनाए रखा गया है. इस तरह यहां भी सरकार ने नागरिकों के लाभ के लिए 0.30 फीसदी ज्यादा ब्याज दिया है.
ब्याज दरें निर्धारित करने में नागरिकों के हित बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. यही कारण है जब बॉन्ड यील्ड कम थी और यील्ड के आधार पर छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर कम बन रही थी, तो भी सरकार ने ब्याज दरों को ऊंचा बनाए रखा. अब बॉन्ड्स यील्ड में इजाफा हो रहा है. इससे उम्मीद की जा रही है कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में भी इजाफा हो सकता है.