अतिरिक्त खरीदी और मौसम में बदलाव से बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है। राज्य में बिजली की मांग जो 22500 मेगावाट से अधिक चल रही थी, वह घटकर 21883 मेगावाट पर आ गई है। इससे कस्बों को भी भरपूर बिजली मिली।
विभिन्न स्रोतों से 1686 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलने से करीब 10 दिनों बाद राज्य में सभी क्षेत्रों में शिड्यूल के मुताबिक भरपूर बिजली दी गई। गांवों-कस्बों में रात के समय भी बिजली की कटौती नहीं की गई। बिजली की दशा में इस सुधार में मौसम का भी बड़ा योगदान है। मौसम में सुधार से राज्य में बिजली की मांग जो 22500 मेगावाट से अधिक चल रही थी, वह घटकर 21883 मेगावाट पर आ गई है।
हरदुआगंज की 660 मेगावाट की इकाई से भी उत्पादन शुरू
वहीं ब्वायलर लीकेज के कारण पिछले कई दिनों से बंद 660 मेगावाट क्षमता की हरदुआगंज की इकाई से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। एक मई को प्रदेश को बैकिंग और आईपीपी के माध्यम से शाम 5 से रात 12 बजे के बीच 1400 मेगावाट, रात 12 से सुबह 6 बजे के बीच 1800 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिली।
दादरी स्थित गैस पावर प्लांट को गैस मिलने से वहां से भी 150 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। हरदुआगंज की बंद इकाई के चालू हो जाने के कारण मांग के मुताबिक जो थोड़ी सी बिजली अभी कम पड़ रही थी उसकी भरपाई हो जाएगी। हालांकि अधिकारी यह भी बता रहे हैं कि मांग बढ़ने पर फिर से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
तापीय विद्युत गृहों को पूरी क्षमता से चलाने के निर्देश
सोमवार को प्रमुख सचिव ऊर्जा व उ.प्र. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने अधिकारियों के साथ बैठक कर उत्पादन निगम की सभी इकाइयों को पूरी क्षमता से चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के प्रयासों से कोयले की अतिरिक्त आपूर्ति की व्यवस्था बनी है। तापीय विद्युत गृहों का उत्पादन कोयले के कारण प्रभावित नहीं होगा।
उन्होंने त्योहारों को देखते हुए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों से सजग रहते हुए स्थानीय व्यवधानों को दूर कर विद्युत आपूर्ति ठीक रखने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि मौसम में सुधार होने से बिजली की मांग में थोड़ी कमी आई है। लोगों को बेहतर बिजली मिले इसके लिए व्यवधानों को ठीक करने के लिए ब्रेक डाउन कम से कम समय का लिया जाए।
गांवों को शिड्यूल से अधिक बिजली फिर भी रात में 22 मिनट कटी
पावर कारपोरेशन प्रबंधन के मुताबिक सोमवार को राज्य में बिजली की मांग 21883 मेगावाट तक रही। करीब 2000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिल जाने से सभी क्षेत्रों को रोस्टर के मुताबिक पूरी बिजली दी गई। एक मई को ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घंटे के शिड्यूल के मुकाबले 18.19 घंटे, बुंदेलखंड को 20 घंटे की जगह 21 घंटे, नगर पंचायतों को 21.30 घंटे की जगह 22 घंटे, तहसील मुख्यालयों को 21.30 घंटे की जगह 21.54 घंटे बिजली दी गई।
जिला मुख्यालयों और महानगरों को पूर्ववत 24 घंटे बिजली की सप्लाई जारी रखी गई। वहीं 30 अप्रैल की शाम सात बजे से 01 मई को सुबह छह बजे बीच एकमात्र ग्रामीण क्षेत्रों में ही 22 मिनट बिजली काटी गई। अन्य सभी क्षेत्रों में पूरी रात निर्बाध बिजली सप्लाई जारी रखी गई।
फिर भी अधिकतम मांग से 170 मेगावाट कम रही बिजली
दूसरी तरफ पावर आपरेशन कारपोरेशन लि. राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र नई दिल्ली की रिपोर्ट के मुताबिक एक मई को उत्तर प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 21408 मेगावाट थी। जिसके मुकाबले राज्य के पास 170 मेगावाट बिजली कम रही। राज्य में 45 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली की मांग थी। जिसके मुकाबले करीब 68 लाख यूनिट बिजली की कमी थी।