All for Joomla All for Webmasters
समाचार

केंद्र सरकार का निर्देश-देसी कोयले से नहीं चल रहा काम, विदेशी मंगा लो, बढ़ सकती है बिजली की कीमत, जानिए

power

महंगाई की मार झेल रहे लोगों को एक और झटका लगने वाला है. कोयले की कमी के बीच बिजली की निर्बाध आपूर्ति समस्या बनी हुई है. ऐसे में केंद्र सरकार ने कहा है कि विदेशों से कोयला मंगवाना होगा, जो कापी महंगा है. तो ऐसे में बिजली के दाम बढ़ सकते हैं.

Coal Shortage In India: देश में बिजली की खपत बढ़ती जा रही है और कोयला घटता जा रहा है. केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में ऊर्जा के संदर्भ में बिजली की मांग में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, बिजली मंत्रालय ने गुरुवार को सभी आयातित कोयला बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से संचालित करने का आदेश दिया है. आपात स्थिति को देखते हुए, केंद्रीय मंत्रालय ने सभी राज्यों और घरेलू कोयले पर आधारित सभी उत्पादन कंपनियों को सम्मिश्रण के लिए कोयले की अपनी आवश्यकता का कम से कम 10 प्रतिशत आयात करने का निर्देश दिया है.

देसी कोयला पड़ा कम-विदेशों से मंगा लें कोयला

घरेलू कोयला नहीं होने पर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को उनकी जरूरत का 10 प्रतिशत कोयला विदेशों से आयात करने के लिए 31 मई तक विज्ञापन निकाल खरीद की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. केंद्र सरकार के आदेश पर निजी क्षेत्र के ज्यादातर बिजली उत्पादकों द्वारा विदेशी कोयला खरीदने का विज्ञापन निकाला जा चुका है. बता दें कि वर्तमान में कोल इंडिया का घरेलू कोयला भाड़े सहित लगभग तीन हजार रुपये टन है, जबकि विदेशी कोयले की न्यूनतम दर 17000 रुपये प्रति टन है. 

केंद्र सरकार ने कहा-बिजली की मांग 20 फीसदी ज्यादा हुई

मंत्रालय के एक आधिकारिक आदेश में, यह पढ़ा, “ऊर्जा के संदर्भ में बिजली की मांग में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि हुई है, लेकिन आपूर्ति में वृद्धि की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली नहीं है. इससे विभिन्न क्षेत्रों में लोड शेडिंग हो रही है. बिजली उत्पादन के लिए कोयले की दैनिक खपत और बिजली संयंत्र में कोयले की दैनिक प्राप्ति के बीच बेमेल होने के कारण, बिजली संयंत्र में कोयले का स्टॉक दर चिंताजनक रूप से घट रहा है.” 

महंगा है विदेशी कोयला

“कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमत अभूतपूर्व ढंग से बढ़ी है. वर्तमान में यह लगभग 140 अमेरिकी डॉलर प्रति टन है. इसके परिणामस्वरूप, सम्मिश्रण के लिए कोयले का आयात, जो 2015-16 में 37 मिलियन टन के क्रम में था. अब ये महंगा हो गया है जिससे घरेलू कोयले पर अधिक दबाव पड़ा है. विदेशों से आयातित कोयला आधारित उत्पादन क्षमता लगभग 17,600MW है.

ऐसे में आयातित कोयले की वर्तमान कीमत पर, आयातित कोयला आधारित संयंत्रों को चलाने और पीपीए दरों पर बिजली की आपूर्ति से जनरेटरों को भारी नुकसान होगा और इसलिए जनरेटर उन संयंत्रों को चलाने के लिए तैयार नहीं हैं. “सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से बिजली का संचालन और उत्पादन करेंगे. जहां आयातित कोयला आधारित संयंत्र एनसीएलटी के तहत है, वहां के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.”

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top