जगन्नाथ मंदिर के पुनरुद्धार व इसके पास जन सुविधाओं के निर्माण पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा मंदिर में कराए जा रहे कामों में दखल देने से मना किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में हो रहे पुनर्विकास व इसके पास जन सुविधाओं के निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। दोनों याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज करने के साथ ही इनपर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बाद अब पुरी जगन्नाथ मंदिर का परिक्रमा प्रोजेक्ट निर्माण कार्य बंद नहीं होगा।
दरअसल कोर्ट ने आज ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर यह फैसला लिया है। कोर्ट ने पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के आस-पास खुदाई के काम पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जो राज्य सरकार की ओर से कराया जा रहा है। जस्टिस बीआर गवई और हिमा कोहली की वैकेशन बेंच ने PIL खारिज कर दिया और कहा कि जनहित में निर्माण कार्य आवश्यक है और इसे जारी रखा जाना चाहिए।
कोर्ट में अरधेंदु कुमार दास (Ardhendu Kumar Das) द्वारा दर्ज कराई गई याचिका की सुनवाई की गई और अन्य लोगों ने मंदिर के पास ओडिशा सरकार द्वारा अवैध खुदाई करने का आरोप लगाया। याचिका के अनुसार, राज्य एजेंसियों ने प्राचीन स्मारकों से जुड़े अधिनियम की धारा 20 ए का उल्लंघन किया है। याचिका में आरोप है कि ओडिशा सरकार मंदिर के आस-पास अवैध निर्माण कार्य करवा रही है। इससे प्राचीन मंदिर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
ओडिशा सरकार करा रही जगतसिंपुर की मां सरला मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम
ओडिशा सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के साथ ही मां सरला मंदिर के भी सौंदर्यीकरण का काम शुरू कराया है। इसके लिए राज्य सरकार ने 42 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। साथ ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सरला मंदिर के लिए 42 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज आवंटित किया है। यह प्रोजेक्ट एक साल के भीतर पूरा किया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत मंदिर परिसर को विकसित किया जाएगा। यहां आधारभूत सुविधाएं दी जाएंगी। इसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उनके रहने की व्यवस्था, मंदिर कार्यालय और पुलिस कंट्रोल रूम आदि बनाए जाएंगे। हाल में ही ओडिशा सरकार ने मंदिर के विकास के लिए 70 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है जो कटक चांदी धर्मस्थल के लिए है। यहां भी एक साल के भीतर विकास कार्यों को पूरा करना है।