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Paternity Leave: मां तो दूध पिलाती हैं, पापा का क्या काम? समझिए पैटरनिटी लीव की सिफारिश क्यों हो रही

Maternity Act NCW : मां बनने पर मैटरनिटी लीव तो मिलती है लेकिन पिता के लिए केवल 15 दिन की छुट्टी है, वो भी प्राइवेट सेक्टर में सात दिन या बॉस पर निर्भर करता है। ऐसे में अब मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मातृत्व अवकाश के तहत पिता को भी कुछ हफ्ते की पेड लीव देने की चर्चा और सिफारिश की गई है।

हाइलाइट्स

  • एकल परिवार के चलते बच्चे की परवरिश में पिता का साथ जरूरी
  • मां के आराम और बच्चे को पिता के साथ की जरूरत की कई वजह हैं
  • नन्हे मेहमान के आने पर रूटीन बदल जाता है, इसलिए पैटरनिटी लीव जरूरी

नई दिल्ली: संतान का सुख सबसे बड़ा सुख होता है। तोतली भाषा में कानों में पड़े मम्मी-पापा के शब्द ऐसी अनुभूति कराते हैं जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। घर में किलकारी गूंजती है तो हर कोई उस नन्हे मेहमान के करीब रहना चाहता है। उसके साथ खेलना चाहता है, सुकून के पल बिताना चाहता है। ऐसे में माताओं के लिए सरकार और प्राइवेट कंपनियों में मातृत्व अवकाश और पिता के लिए पितृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है। मां को 6 महीने यानी 26 हफ्ते दिए जाते हैं जिसमें वह अपने बच्चे का लालन-पालन अच्छी तरीके से कर सके। इस दौरान वह शारीरिक रूप से भी मजबूत होती है और किसी तरह का वेतन नहीं काटा जाता है। हालांकि पिता को अवकाश कम हैं। इस समय केंद्रीय कर्मचारियों को 15 दिन का पितृत्व अवकाश (Paternity Leave) दिया जाता है। प्राइवेट सेक्टर की बात करें तो कुछ कंपनियों में 7 दिन का अवकाश है लेकिन कुछ कंपनियों में स्पष्ट नीति नहीं है। इसे यह कहकर टाल दिया जाता है कि पिता का बच्चे के साथ रहना उतना जरूरी नहीं, जितना मां का रहना जरूरी है। क्या ऐसा है? अब पितृत्व अवकाश बढ़ाने की मांग क्यों हो रही है? आइए समझते हैं।

मां पर बोझ होगा कम
मातृत्व लाभ अधिनियम पर आयोजित कानून समीक्षा चर्चा में कई विशेषज्ञों ने माताओं पर बच्चों की परवरिश का बोझ कम करने की बात कही। ऐसे में उन्होंने पितृत्व अवकाश को बढ़ाने की सिफारिश की है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया है कि पितृत्व अवकाश को बढ़ाने के अलावा नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना और ज्यादा महिला श्रमिकों को रोजगार देने के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र को संवेदनशील बनाने जैसी सिफारिशें आई हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और 2017 के संशोधन पर अंतिम कानून समीक्षा परामर्श का आयोजन किया था। आयोग ने बताया कि इस बैठक का उद्देश्य महिलाओं को प्रभावित करने वाले कानून की समीक्षा और उसका विश्लेषण करना तथा किसी प्रकार की कमी, अपर्याप्तता और त्रुटियों में सुधार करने के लिए संशोधन की सिफारिश करना था।

पराग अग्रवाल ने ली कई हफ्ते की छुट्टी
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की बात हो या कर्मचारी के अधिकारों की, दुनिया के कई देशों में बेहतर प्रावधान हैं। आपने पढ़ा होगा कि ट्विटर के भारतीय मूल के CEO पराग अग्रवाल ने कुछ महीने पहले कहा था कि वह अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद कुछ हफ्ते की पैटरनिटी लीव लेंगे। क्या अपने देश में आप ऐसा सोच सकते हैं? भारत में मांओं को छुट्टी तो मिल जाती है लेकिन पिता के पितृत्व अवकाश की बात होने लगे तो इस गैरजरूरी या छुट्टी का बहाना समझा जाता है।

मां की मुश्किल समझिए
वास्तव में, आज के समय में गांव हो या शहर नवजात की देखभाल करना आसान नहीं है। सामूहिक परिवार में थोड़ी आसानी हो जाती है लेकिन आजकल फ्लैट में रहने वाले माता-पिता के पास मां के अलावा बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं होता है। पहली बार माता-पिता बनने के बाद कई तरह की चुनौतियां आती हैं। इसमें समय और धैर्य की जरूरत होती है। प्रसव के बाद मां को कुछ महीने तक आराम करने और ज्यादा भागदौड़ न करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में अगर पिता नौकरी पर जाए तो मां के लिए अकेले बच्चे को संभालना मुश्किल भरा होता है।

सोने का, उठने का पूरा रूटीन बदल जाता है
हाल में पिता बने नोएडा के राहुल कुमार कहते हैं कि नन्हे मेहमान के आने के बाद सोने का, उठने का… यूं समझिए पूरे दिन और रात का रूटीन बदल गया। पूरे घर में उस पर ही फोकस रहता। क्यों रोया, दूध पीया क्या, उसे हर पल अटेंशन देना पड़ता है। पत्नी कमजोर हैं तो घर में मेड के अलावा भी काम रहता है जो उन्हें करना पड़ता है। वह कहते हैं कि रात में नींद पूरी नहीं हो पाती क्योंकि बच्चा कई बार उठता है। ऐसे में पिता को भी कुछ हफ्ते मिलने चाहिए जिससे वह नई जिंदगी में रच-बस सके। इससे पत्नी की भी मदद हो जाएगी और ऑफिस-घर के कामकाज में संतुलन साधने में बड़ी हेल्प हो जाएगी।

एक एमएनसी कंपनी में काम करने वाले सर्वेश्वर तिवारी कहते हैं कि अगर बॉस विदेशी है तो वह इन सब चीजों को ज्यादा संवेदनशीलता से लेता है। लेकिन देश में paternity leave को लेकर देशव्यापी नीति न होने से काफी चीजें स्पष्ट नहीं हैं और हम इसकी मांग भी नहीं कर सकते हैं।

अब न दादा हैं न दादी तो कैसे पालें बच्चे
नोएडा के एक अपार्टमेंट में रहने वाली ऑफिस जाने वाली रुचि कहती हैं कि कुछ साल पहले जब लोग एक ही छत के नीचे दादा-दादी, चाचा-चाची के साथ रहते थे, घर में बच्चे को संभालने वाले कई लोग हुआ करते थे तो परिस्थितियां अलग थीं। आज न्यूक्लियर फैमिली में मां को अपनी सेहत दुरुस्त करने का समय ही नहीं मिलता। उसे प्रसव के बाद बच्चे की देखभाल करनी होती है। इसमें अगर पिता का साथ मिल जाए और वह कुछ हफ्ते घर पर ज्यादा समय दें तो एक मानसिक तनाव और पीड़ा कम होगी। इससे कंपनी को भी फायदा होगा क्योंकि कर्मचारी को मानसिक टेंशन कम रहा करेगी।

मां दूध पिलाएगी, पापा का क्या काम?
कुछ कंपनियों में 15 दिन की पैटरनिटी लीव लेने पर वरिष्ठ साथी यह कहकर मजाक बनाते हैं कि अच्छा है, उनके समय में तो एक दिन की भी छुट्टी नहीं थी। कुछ तंज कसते हैं कि दूध मां पिलाएगी तो तुम्हारा घर में क्या काम है? ऐसे में कर्मचारी पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बन जाता है कि वह जल्दी से ऑफिस जॉइन कर ले। जबकि एक्सपर्ट कहते हैं कि खासतौर से पहले बच्चे के जन्म पर मां-बाप की दुनिया ही बदल जाती है। कई अप्रत्याशित चीजें होती हैं। मां को शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक साथ की जरूरत होती है, जो बच्चे की देखरेख में उसका साथ दे सके। यही वजह है कि अब देश में पैटरनिटी लीव बढ़ाने की मांग तेज हो गई है।

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