सेबी (SEBI) के एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को विदेशी स्टॉक्स में निवेश की अनुमति देने से उन्हें काफी फायदा होगा. इस समय बाजार में आई मंदी के कारण एएमसीज अच्छे स्टॉक्स को कम कीमतों पर खरीदकर अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर पाएंगी.
नई दिल्ली. एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के लिए एक अच्छी खबर है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एएमसीज को एक बार फिर से विदेशी स्टॉक्स में निवेश की अनुमति दे दी है. विदेशी स्टॉक्स में निवेश के लिए नियमों में थोड़ा बदलाव जरूर किया गया है. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की विदेशी फंडों में निवेश की 7 बिलियन डॉलर की लिमिट में बढ़ोतरी होने की आस अभी भी पूरी नहीं हुई है.
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मनीकंट्रोल डॉट कॉम को सूत्रों ने बताया कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास 1 फरवरी 2022 को जितना इंटरनेशनल एसेट का मैनेजमेंट कर रही थी, उस सीमा तक ही वे अब अंतरराष्ट्रीय स्टॉक में निवेश कर पाएंगे. इसका मतलब यह हुआ कि अंतरराष्ट्रीय स्टॉक्स में करेक्शन या रिडेंपशन्स के कारण उनकी एयूएम में जो कमी आई है, उसकी भरपाई अब वे नई इनवेस्मेंट के जरिए कर पाएंगी. उदाहरण के लिए अगर किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने इंटरनेशनल स्टॉक्स में 1 फरवरी 2022 तक 100 रुपये का निवेश किया था और अब उसकी एयूएम 80 रुपये रह गई है तो नए नियमों के तहत वह 20 रुपये और निवेश कर सकती है.
अच्छी पहल
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह ने इस कदम को सही दिशा में उठाया उचित कदम बताया है. उनका कहना है कि फरवरी 2022 के मुकाबले अब स्टॉक्स बहुत कम वैल्यूएशन पर उपलब्ध हैं. सेबी के एएमयू को विदेशी शेयरों में निवेश की अनुमति देने से अब वे कम मूल्य पर शेयर खरीद सकेंगे. नीलेश शाह का कहना है कि सेबी ने एक तरह से यह विदेशी निवेश सीमा में अप्रत्यक्ष बढ़ोतरी ही कर दी है.
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रिटेल इनवेस्टर को होगा फायदा
इस साल फरवरी में भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अंतरराष्ट्रीय स्टॉक्स में निवेश 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. इसके बाद बहुत सी एएमसीज ने अंतरराष्ट्रीय फंडों में नया निवेश बंद कर दिया था. आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ इरोज अज़ीज का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्टॉक्स में निवेश का परमानेंट माध्यम एलआरएस है. बहुत से एचएनआई म्यूचुअल फंड के सहारे एलआरएस लिमिट से ज्यादा निवेश विदेशी स्टॉक्स में कर रहे थे. जहां तक रिटेल इनवेस्टर का सवाल है तो सेबी द्वारा उठाया गया यह कदम काफी अच्छा है. यह फंड मैनेजर को वर्तमान परिस्थितियों के कारण कम वैल्यूएशन वाले शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने का मौका देगा.