नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अकाउंट एग्रीगेटर (एए) की शुरुआत से छोटे कारोबारियों व आम ग्राहकों को लोन लेने में कई फायदे मिलेंगे। पिछले सप्ताह देश के आठ प्रमुख बैंक एए नेटवर्क से जुड़ गए हैं। अब छोटे कारोबारी या खुदरा ग्राहक किसी लोन के लिए आवेदन करते हैं तो कम ब्याज दर पर लोन देने और नए ग्राहक बनाने के लिए बैंकों में ही स्वस्थ स्पर्धा का बाजार मजबूत होगा। हालांकि एए पर किसी ग्राहक की सिर्फ वही वित्तीय जानकारी दिखेगी, जिसके लिए ग्राहक अपनी मंजूरी देगा।
हाल ही में एसबीआइ, आइसीआइसीआइ बैंक, एक्सिस बैंक, आइडीएफसी फर्स्ट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड और फेडरल बैंक एए नेटवर्क से जुड़ गए हैं। वर्ष 2016 से एए नेटवर्क को औपचारिक रूप से चालू करने की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की कवायद चल रही थी।एकाउंट एग्रीगेटर का लाइसेंस आरबीआइ देता है।
अभी सात गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी को आरबीआइ ने एए का लाइसेंस दिया है। ये कंपनियां एक डिजिटल प्लेटफार्म तैयार करेंगी जिससे ग्राहक भी जुड़े होंगे और लोन देने वाले बैंक भी। इस प्लेटफार्म पर ग्राहकों से जुड़ी 19 प्रकार की वित्तीय जानकारी का ब्योरा होगा। लेकिन जो जानकारी ग्राहक देना चाहेंगे, सिर्फ वही बैंकों से साझा की जाएगी। इनमें आयकर रिटर्न, जीएसटी रिटर्न, निवेश, बैंकों के खाते, इंश्योरेंस, पेंशन फंड, मकान या आटो लोन जैसी जानकारियां शामिल होंगी। जब ग्राहक अपनी मंजूरी देगा तब एए संबंधित एजेंसी से ये जानकारियां जुटाएगा।
हालांकि एए उस डाटा को स्टोर नहीं कर सकेगा और उसकी बिक्री नहीं कर सकेगा।एमएसएमई मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एए से छोटे उद्यमियों के लोन में काफी पारदर्शिता आ जाएगी। लोन लेने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने में कारोबारियों के समय बर्बाद नहीं होंगे और बिना वजह बैंक एमएसएमई के लोन आवेदन को खारिज नहीं कर पाएंगे। दूसरी तरफ बैंक की ट्रांजेक्शन लागत कम हो जाएगी और एए की मदद से वे हाथोंहाथ छोटे लोन की मंजूरी दे सकेंगे। एए की मदद से किसी लोन के लिए आवेदन करने पर उस आवेदन की जानकारी कई बैंक को होगी और सभी बैंक आवेदक के वित्तीय स्कोर को देखते हुए अलग-अलग तरीके से ब्याज दर की पेशकश कर सकते हैं। अभी ग्राहकों को सभी बैंकों में अलग-अलग आवेदन करना पड़ता है।