Shiv Ji Jyotirling: हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का पांचवा महीना सावन का होता है.ये माह भगवान शिव का प्रिय महीना है. इस माह में भगवान शिव की पूजा आरधना का विशेष फल मिलता है. सावन का महीना 11 अगस्त रक्षबंधन तक रहेगा. इसके बाद भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव का नाम लेने, दर्शन मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसे में आज हम भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन करेंगे.
सोमनाथ- गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित भगवान शिव को सोमनाथ ज्योर्तिलिंग पृथ्वी का पहला ज्योर्तिलिंग है. ऐसा माना जाता है चंद्रमा ने दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति के लिए यहीं तपस्या की थी. तब शिव जी ने प्रकट होकर चंद्रमा को श्राप मुक्त किया था. चंद्रमा का नाम सोम भी है, इसलिए इस ज्योर्तिलिंग को सोमनाथ के नाम से जाना जाता है.
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मल्लिकार्जुन- ज्योर्तिलिंग में दूसरा स्थान मल्लिकार्जुन का है. यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है. माना जाता है कि इसके दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. यहां पूजा करने से अश्वमेघ के यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है.
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महाकालेश्वर- उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर को तीसरा स्थान प्राप्त है. 12 ज्योर्तिलिंगों में से ये एक मात्र दक्षिणावर्ती ज्योर्तिलिंग है. यहां की भस्म आरती विश्व प्रख्यात है. उज्जैन में सावन के हर सोमवार को महाकालेश्वर की सवारी निकाली जाती है.
ओंकारेश्वर- मध्यप्रदेश के इंदौर के समीप स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि यहां पहाड़ी के चारों ओर नदी बहती है जिससे ऊं का आकार बनता है. यहां स्थित ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है. इस वदह से ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है.
केदारनाथ- केदारनाथ का वर्णन शिवपुराण में मिलता है. ये उत्तराखंड में स्थित है. माना जाता है कि केदारनाथ भगवान शिव को बेहद प्रिय है. शिवपुराण के अनुसार जिस प्रकार कैलाश का महत्व बताया जाता है. उसी प्रकार शिव जी के केदार क्षेत्र का भी विशेष महत्व बताया जाता है.
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भीमाशंकर- ज्योर्तिलिंगों में भीमाशंकर का छठा स्थान है. भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में स्थित है. इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि नियमित रूप से इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने से भक्तों के सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं.
काशी विश्वनाथ- उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित यह यह ज्योतिर्लिंग विश्वभर में प्रसिद्ध है.इस ज्योर्तिलिंग को लेकर मान्यता है कि प्रलय के बाद भी यह अपने स्थान पर बना रहेगा. इस ज्योर्तिलिंग की रक्षा के लिए भगवान शिव इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे.
त्र्यंबकेश्वर- आठवें स्थान पर है त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग. महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित इस ज्योर्तिलिंग का भी बहुत महत्व है. इसे लेकर मान्यता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा था.
वैद्यनाथ- इस ज्योतिर्लिंग को वैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है. झारखंड के देवघर जिले में स्थित इस ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि इसकी स्थापना रावण ने की थी. ऐसा माना जाता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसलिए इसे कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है.
नागेश्वर- दसवें स्थान पर हैं नागेश्वर ज्योर्तिलिंग, जो कि गुजरात में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां पर पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से दर्शन को जाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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रामेश्वरम- यह ज्योर्तिलिंग के साथ-साथ चार धामों में से एक है. यह तमिलनाडु के रामनाथपुरं स्थान पर स्थित है. मान्यता है कि इस ज्योर्तिलिंग की स्थापना स्वयं श्री राम ने की थी. और इसी कारण इसे रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है.
घुश्मेश्वर- बारहवें स्थान पर है घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग. ये औरंगाबाद के दौलताबाद के पास स्थित है. ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग है. बता दें कि इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था.