सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बनी मुख्य सचिव की कमिटी एक ओर स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों की फाइल पलट रही है, दूसरी ओर जिलों के चिकित्सा विभाग के प्रमुख स्टाफ की कमी का हवाला देकर शासन से पूछ रहे हैं कि इलाज कैसे होगा? कई जिलों के सीएमओ/सीएमएस ने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को पत्र भेजकर अपनी समस्याएं गिनाईं हैं।
बिजनौर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने अमित मोहन प्रसाद को लिखा है कि अस्पताल से इकलौते वरिष्ठ पैथालॉजिस्ट का तबादला कर दिया गया है। इनकी जगह कोई डॉक्टर दिया नहीं गया तो कोविड सैंपल, ब्लड बैंक समेत पूरी इकाई का काम चरमरा जाएगा। इसका रास्ता निकालें। बस्ती से चिट्ठी आई है कि नए सीएमओ ने अभी चार्ज नहीं लिया है, पुराने काफी जूनियर को चार्ज देकर चले गए हैं और व्यवस्था अस्त-व्यस्त है।
रायबरेली की महिला अस्पताल की सीएमएस ने भी अस्पताल के एक-एक डॉक्टरों का ब्योरा, दिक्कतें गिनाते हुए लिखा है कि अगर वह अपने यहां से स्थानांतरित डॉक्टरों को रिलीव कर देंगी तो इलाज में मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। मुरादाबाद के सीएमएस ने चिट्ठी लिखी है कि यहां से रेडियॉलजिस्ट को कार्यमुक्त कर देंगे तो एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड ठप हो जाएगा। महराजगंज के सीएमओ ने कहा है कि 15 डॉक्टरों का तबादला हुआ है और महज तीन मिले हैं। ऐसे में किसे कार्यमुक्त करें, इसका मार्गदर्शन शासन ही करें।
मंत्री-डीएम की भी चिट्ठी
कानपुर देहात से हुए एक तबादले को निरस्त करने के लिए एमएसएमई मंत्री राकेश सचान से लेकर वहां की डीएम नेहा जैन तक ने शासन को चिट्ठी भेजी है। रामपुर के सीएमएस ने भी डॉक्टर के तबादले के चलते कोविड लेवल-2 के अस्पताल के संचालन में दिक्कत का हवाला दिया है। इससे पहले भी कई जिलों से स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को ऐसी चिट्ठियां आ चुकी हैं। इससे तबादलों में मानकों और जरूरतों का ध्यान न रखने के आरोप और गहरा रहे हैं।