भारत ने ओलंपिक पुरूष हॉकी में आठ बार (1928 से 1936 तीन बार आजादी से पहले, 1948, 1952, 1956 , 1964 और 1980) स्वर्ण पदक जीता है .
हेलसिंकी में 1952 में महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर (Balbir Singh Sr.) के रिकॉर्ड पांच गोल की मदद से टीम इंडिा को मिले गोल्ड मेडल से लेकर तोक्यो में 2021 में मीराबाई चानू (Chanu Saikhom Mirabai) के ऐतिहासिक ओलंपिक रजत और यूजीन में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के विश्व चैंपियनशिप में मिले सिल्वर मेडल तक, 24 जुलाई की तारीख भारतीय खेलों के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है.
ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने अमेरिका के यूजीन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को पहली बार रजत पदक दिलाकर नया इतिहास रच दिया. इससे पहले 2003 में अंजू बॉबी जॉर्ज ने पेरिस में विश्व चैंपियनशिप में लंबी कूद का कांस्य पदक जीता था .
हेलसिंकी में 1952 ओलंपिक में 24 जुलाई के दिन ही भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने नीदरलैंड को 6-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था. इस जीत के सूत्रधार बलबीर सिंह सीनियर ने पांच गोल दागे थे और ओलंपिक हॉकी फाइनल में सर्वाधिक गोल का रिकॉर्ड 70 साल बाद भी आज तक उनके नाम है .
24 जुलाई ओलंपिक में एक बार फिर भारत के लिए सौभाग्यशाली तारीख रही. इसी दिन 2021 में तोक्यो ओलंपिक में स्पर्धा के पहले ही दिन साइखोम मीराबाई चानू ने महिलाओं के 49 किलो भारोत्तोलन वर्ग में रजत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था. वो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भारोत्तोलक बनी.