सरकार ने 1 सितंबर से हवाई किराये पर फेयर कैप खत्म कर दिया है. दो साल से ज्यादा समय से चली आ रही इस बाध्यता के खत्म होते ही विमानन कंपनियों ने अपने किराये में बंपर कटौती शुरू कर दी है. दिल्ली, मुंबई सहित कई रूट पर हवाई किराये में पिछले महीने के मुकाबले 50 फीसदी तक कटौती हुई है.
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नई दिल्ली. हवाई किराये पर सरकार की ओर से फेयर कैप की बाध्यता खत्म करते ही कीमतों में बड़ी गिरावट दिखने लगी है. पिछले महीने तक आसमान छू रहे हवाई सफर के किराये अब जमीन पर आ गए हैं.
सरकार ने पिछले सप्ताह ही फेयर कैप की बाध्यता खत्म की थी. फेयर कैप का मतलब था कि कंपनियां तय सीमा से कम किराया नहीं रख सकतीं और न ही ऊपरी सीमा से ज्यादा बढ़ा सकती थीं. लेकिन, इसकी बाध्यता खत्म होने के बाद बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए कंपनियां अपने ग्राहकों को लुभाने की पूरी तैयारी कर रही हैं. यही कारण है कि अकासा एयर, इंडिगो, एयर एशिया, गो फर्स्ट और विस्तारा जैसी कंपनियों ने अपने किराये में बड़ी कटौती की है.
अकासा एयर ने आधा कर दिया किराया
सिर्फ एक महीने पहले शुरू हुई एयरलाइन अकासा एयर ने अपने सभी रूट पर किराये में भारी कटौती की है. यह कंपनी मुंबई-बैंगलूरू रूट पर अभी 2,000-2,200 रुपये में हवाई सफर करा रही है, जबकि पिछले महीने तक इस रूट का किराया 3,948 रुपये प्रति व्यक्ति था. इसी तरह, मुंबई-अहमदाबाद का किराया पिछले महीने तक 5,008 था, जो अब घटकर 1,400 रुपये पर आ गया है. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने भी अकासा एयर वाले रूट पर अपने सभी किराये में कटौती कर दी है, जबकि गो-फर्स्ट भी इन रूटों पर किराया घटा रही है.
दिल्ली-लखनऊ का किराया 50 फीसदी कम
विमानन कंपनियां पिछले महीने तक जहां दिल्ली से लखनऊ का हवाई किराया 3,500-4,000 रुपये वसूल रही थीं, वहीं अब यह घटकर 1,900 से 2,200 रुपये पर आ गया है. इस रूट पर सबसे सस्ता किराया एयर एशिया और इंडिगो का है. इसी तरह, कोच्चि और बैंगलूरू के बीच हवाई किराया घटकर 1,100 से 1,300 रुपये पर आ गया है. इस रूट पर गो-फर्स्ट, इंडिगो और एयर एशिया सबसे कम किराया वसूल रही हैं.
मुंबई-जयपुर रूट पर कुछ दिन पहले तक हवाई किराया 5,000 से 5,500 रुपये था, जो अब घटकर 3,900 रुपये पर आ गया है. विमानन क्षेत्र के एक्सपर्ट का कहना है कि किराये में कटौती बाजार में बढ़ी प्रतिस्पर्धा का नतीजा है. सभी एयरलाइंस अपने किराये में कटौती कर रही हैं, जो इस क्षेत्र के तेजी से आगे बढ़ने का संकेत दे रहा है. इससे मांग बढ़ेगी और कोरोना महामारी से जूझ रहे विमानन उद्योग को मदद मिलेगी.
मांग में नरमी भी है कारण
एक एयरलाइन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किराये में कमी अभी मांग घटने की वजह से भी आई है. कई रूट पर जुलाई-सितंबर में मांग कम रहती है, जिससे ऑफ सीजन में किराया भी घट जाता है. आगे त्योहारी सीजन शुरू होगा और हवाई किराये में एक बार फिर उछाल आ सकता है. हालांकि, इसके बावजूद कीमतें कम रहेंगी क्योंकि फेयर कैप हटाए जाने के बाद किराये पर असर दिखेगा.
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इसलिए घट रहा किराया
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले महीने से कॉरपोरेट ट्रेवल में तेजी आई है, जिससे घरेलू कंपनियों को अपने किराये में कटौती का भरोसा जगा है. कंपनियों को अपने कारोबार में तेजी की उम्मीद बंधी है, जिसका लाभ वे किराये में कटौती करके ग्राहकों को भी दे रही हैं. सरकार ने कारोनाकाल में मई, 2020 के दौरान घरेलू हवाई किराये पर प्राइज बैंड तय कर दिया था, ताकि कीमतों में अनावश्यक वृद्धि न की जा सके.