फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि यूजी, पीजी, पाठ्यक्रमों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर व दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए मॉनिटरिंग कमेटी व ग्रीवेंस सेल (Grievance Cell in colleges) की स्थापना की जाए.
DU: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि यूजी, पीजी, पाठ्यक्रमों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर व दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए मॉनिटरिंग कमेटी व ग्रीवेंस सेल (Grievance Cell in Colleges) की स्थापना की जाए. इसके लिए विश्वविद्यालय कॉलेजों को सर्कुलर जारी करें ताकि इन वर्गों के छात्रों को शैक्षिक सत्र 2022-23 में प्रवेश संबंधी दिक्कतों का सामना न करना पड़े
आरक्षित श्रेणी के छात्रों की सीटें खाली रह जाती है
फोरम का कहना है कि कॉलेजों में शिकायत निवारण समिति बनेगी लेकिन इस संदर्भ में कॉलेजों को कोई आधिकारिक सकरुलर जारी नहीं किया गया. दिल्ली विश्वविद्यालय में करीब 79 कॉलेज है जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है. इन कॉलेजों व विभागों में हर साल स्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य व मानविकी विषयों में 70 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के प्रवेश होते हैं. शिक्षकों का कहना है कि इसके अतिरिक्त कॉलेज प्रिंसिपल अपने स्तर पर 10 फीसदी अतिरिक्त एडमिशन कर लेते है लेकिन उसकी एवज में आरक्षित श्रेणी के छात्रों के एडमिशन नहीं करते.
जबकि भारत -सरकार व यूजीसी ने सख्त निर्देश दिए है कि भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के अनुसार अनुसूचित जाति 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 7 दशमलव 5 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) 27 प्रतिशत, के अलावा पीडब्ल्यूडी , ईडब्ल्यूएस आदि को उनके आरक्षण के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया जाए. उन्होंने चिंता जताई है कि हर साल आरक्षित श्रेणी के छात्रों की सीटें खाली रह जाती है
कमेटी की स्थापना की जाए
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने लिखा है कि यूजीसी के सख्त निर्देश है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय या कॉलेज में एससी, एसटी सेल, ओबीसी सेल, पीडब्ल्यूडी सेल , ग्रीवेंस सेल , मॉनेटरिंग कमेटी व जातीय आधार पर भेदभाव संबंधी कमेटी की स्थापना की जाए.
उन्होंने बताया है कि इन सेल में आरक्षित वर्गों के शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है लेकिन ये सेल कोई काम नहीं करते, केवल कागजों में कार्य कर रहे हैं. सेल में नियुक्त गए शिक्षकों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई पावर नहीं दी गई जिसके आधार पर विश्वविद्यालय को लिखा जाए. साथ ही सेल में प्रिंसिपलों द्वारा ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है जो उनके चहेते होते हैं.
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कुलपति को लिखे पत्र में मांग की गई है कि डीयू कॉलेजों के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एक मॉनिटरिंग कमेटी व ग्रीवेंस कमेटी गठित करे जिसमें वर्तमान विद्वत परिषद सदस्य व पूर्व सदस्यों के अलावा आरक्षित वर्ग के शिक्षकों को इस कमेटी में रखा जाए. कमेटी उन कॉलेजों का दौरा करेगी जहां एडमिशन के दौरान छात्रों के साथ किसी तरह की दिक्कतें आ रही हो