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वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर, 6 घंटे में पहुंचेंगे काशी व‍िश्‍वनाथ से कालीघाट

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (nitin gadkari) शनिवार को लखनऊ में थे। मौका था इंडिया रोड कांग्रेस (india road congress) का 81वां सालाना अधिवेशन। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि साल 2024 तक यूपी की सड़कें अमेरिका से भी बेहतर हो जाएंगी। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार यूपी के लिए 5 लाख करोड़ रुपयों का बजट मुहैया कराएगी। इसी कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने देश को एक्‍सप्रेसवे और इकॉनामिक कॉरिडोर के जरिए जोड़ने वाली महत्‍वाकांक्षी योजना भारतमाला का जिक्र किया। इसी में चर्चा हुई वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर (Varanasi Kolkata corridor) की।

वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर भारतमामला परियोजना के दूसरे फेज का हिस्‍सा बनने वाला है। लगभग 610 किलोमीटर लंबा यह एक्‍सप्रेसवे देश की दो सांस्‍कृतिक राजधानियों वाराणसी और कोलकाता को एक करेगा। आज वाराणसी से कोलकाता जाने में लगभग 12-13 घंटे लगते हैं, लेकिन इसके बनने के बाद यह समय आधा यानी लगभग 6 घंटे का रह जाएगा। वाराणसी के काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कोलकाता के कालीघाट मंदिर तक पहुंचने में बस इतना ही समय लगेगा।

चार राज्‍यों को जोडे़गा

वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा। यूपी में यह 22 किलोमीटर, ब‍िहार में 159 किलोमीटर, झारखंड में 187 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 242 किलोमीटर की दूरी कवर करेगा। यह एक्‍सप्रेसवे शुरू में 6 लेन का होगा, बाद में इसका विस्‍तार भी किया जा सकेगा।

पांच भागों में बंटा है कॉरिडोर

मौटे तौर पर वाराणसी कोलकाता एक्‍सप्रेसवे को पांच सेक्‍शन में बांटा गया है:

1. वाराणसी के निकट भरहुली से बिहार के बक्‍सर जिले के रामपुर तक। इस सेक्‍शन की लंबाई लगभग 74 किलोमीटर होगी।

2. बक्‍सर के रामपुर से तेतरहार गांव तक, इसकी लंबाई लगभग 40 किलोमीटर होगी।

3. तेतरहार गांव से बिहार के गया जिले के शाहपुर तक इसका तीसरा सेक्‍शन होगा, जिसकी दूरी 70 किलोमीटर के आसपास होगी।

4.चौथा सेक्‍शन शाहपुर से शुरू होकर कमालपुर तक होगा, इसकी दूरी 191 किलोमीटर होगी।

5. पांचवां सेक्‍शन कमालपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में हावड़ा के पास उलूबेरिया तक होगी। इस सेक्‍शन की लंबाई 237 किलोमीटर होगी।

पूरा पूर्वी भारत बेहतर कनेक्टिविटी से जुडे़गा

फिलहाल इसकी लगात 28 हजार करोड़ बताई जा रही है। इसके बनने से पूरा पूर्वी भारत बेहतर कनेक्टिविटी से जुडे़गा। इसका गहरा सामाजिक और आर्थिक असर देखा जाएगा। यात्रा का समय आधा लगने से समय व ऊर्जा दोनों की बचत होगी। इसके अलावा बिहार, झारखंड के कोयले और लोहे के उद्योगों को भी नई संभावनाएं मिलेंगी। इससे चार राज्‍यों के इन जिलों चंदौली, भभुआ, सासाराम, औरंगाबाद, बोकारो, रांची, पुरुलिया का सीधा संपर्क हो जाएगा।

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