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धर्म

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से अपनाएं ये 5 गुण, सफल हो जाएगा जीवन

RAMLALA

भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. भगवान राम सुखों का समझौता कर न्याय और सत्य के मार्ग पर चले. अपने इन्हीं गुणों के कारण वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. भगवान राम के कई गुणों में यदि आप कुछ गुणों को भी अपना लेंगे तो आपका जीवन सफल हो

व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों से ही पहचान बनाता है. भगवान राम भी अपने स्वभाव, गुणों और कर्मों के कारण मर्दाया पुरुषोत्तम कहलाए. भगवान राम श्री हरि विष्णु के अवतार माने जाते हैं. धार्मिक ग्रंथों में उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है. उन्होंने राजपाट छोड़ 14 साल वनवास में बिताएं. लेकिन फिर भी एक श्रेष्ठ राजा कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने सत्य, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चलते हुए राज किया. आज भी बड़े-बुजुर्गों के बीच यदि संस्कृति और सदाचार की बात होती है तो भगवान राम का ही नाम लिया जाता है. भगवान राम अनेकों गुणों के धनी हैं. लेकिन यदि आप अपने जीवन में उनके 5 गुणों को भी अपना लेंगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा. कहा जाता है कि हर पुरुष में राजा राम के ये 5 गुण जरूर होने चाहिए. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं भगवान राम के इन गुणों के बारे में.

धैर्यवान
भगवान श्रीराम के विशेष गुणों में एक है सहनशीलता व धैर्य. आजकल लोगों में धैर्य नाम की चीज नहीं है. उन्हें हर चीज शीघ्र व अतिशीघ्र पाने की आदत होती है. फिर चाहे वह धन हो या सफलता. इसी तत्परता के कारण लोग आगे नहीं बढ़ पाते. रामजी ने कैकेयी की आज्ञा पाकर 14 वर्ष का वनवास बिताया, समुद्र पर सेतु तैयार करने के लिए तपस्या की, उन्होंने जब माता सीता का परित्याग किया तो राजा होते हुए भी संन्यासी की तरह जीवन व्यतीत किए. सहनशीलता की ऐसी पराकाष्ठा भगवान राम की तरह आज भी हर व्यक्ति में होनी चाहिए और इस गुण को जरूर अपनाना चाहिए.

दयालुता
दयालु व्यक्ति ही अपनी छवि को निखार पाता है. दयालु स्वभाव मानव और पशु सभी के प्रति होनी चाहिए. भगवान राम ने अपने इसी गुण के कारण सभी को छत्रछाया में लिया. भगवान राम ने स्वयं राजा होते हुए भी सुग्रीव, हनुमानजी, केवट, निषादराज, जाम्बवंत और विभीषण सभी को समय-समय पर नेतृत्व करने के अधिकार दिए. 

नेतृत्व क्षमता
भगवान राम राजा और एक कुशल प्रबंधक होते हुए भी सभी को साथ लेकर चले. इसी नेतृत्व क्षमता के कारण समुद्र में पत्थरों से सेतु का निर्माण हो सका.

आदर्श भाई
आज भाई-भाई में लड़ाई-झगड़े घर-घर में होते हैं. परिवार में कलह-क्लेश की यह भी एक अहम वजह है. जिस घर में भाई-भाई के बीच मित्रता होती है, वहां पूरा परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत करता है. इसके लिए आपको भगवान राम की तरह एक आदर्श भाई की भूमिका निभाने की जरूरत है. भगवान राम  के लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण के कारण ही उन्हें आदर्श भाई कहा जाता है.

मित्रता का गुण
भगवान राम ने मित्रता का रिश्ता भी दिल से निभाया. केवट, सुग्रीव, निषादराज और विभीषण सभी उनके परम मित्र थे. मित्रता निभाने के लिए भगवान राम ने कई बार स्वयं भी संकट झेले.

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