नई दिल्ली, विवेक तिवारी। World alzheimer’s day 2021 : कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने के बाद आपको एकाग्रता की कमी, भूलने की दिक्कत और याद्दाश्त कमजोर होने जैसी मुश्किलें महसूस हो रही हैं तो आपको तुंरत किसी मनो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। वरना आपकी ये मुश्किलें डिमेंशिया या अलजाइमर जैसी बीमारी का रूप ले सकती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सेस के हेल्थ साइंस सेंटर के विशेषज्ञ इस बात पर पर रिसर्च कर रहे हैं कि कोविड के बाद एकाग्रता की कमी, भूलने की दिक्कत और याददाश्त कमजोर होने जैसी बीमारियां क्या अलजाइमर के प्राथमिक लक्षण हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सेस के हेल्थ साइंस सेंटर में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. गेब्रियल डी इरॉस्किन और उनके साथियों ने अपनी रिसर्च में पाया कि COVID-19 दिमाग के ओलफेक्ट्री बल्ब वाले हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। इसी के चलते मरीज की सूंघने और महसूस करने की क्षमता पर असर पड़ता है। कोविड के चलते दिमाम को पहुंचने वाले नुकसान के चलते मरीजों में अल्जाइमर जैसी बीमारी का खतना बढ़ जाता है।
डॉ. गेब्रियल डी इरॉस्किन के मुताबिक रिसर्च में पाया गया कि COVID-19 के ऐसे मरीज जिनकी उम्र 60 से 70 साल के बीच थी उनमें अल्जाइमर के मामले तेजी से बढ़े हैं। ये परिणाम काफी डराने वाले हैं। उन्होंने बताया कि 60 साल से ज्यादा के लोगों में पाया गया कि वो लोगों के नाम, जगह, फोन नम्बर और भाषा जैसी चीजें भूल रहे हैं। कई बार वो बोलते हुए शब्द भूल जाते हैं। ये सभी लक्षण अलजाइमर के प्राथमिक लक्षण हैं। गौरतलब है कि हाल ही में अल्जाइमर एसोसिएशन इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान दुनिया भर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने COVID-19 के दिमाग पर होने वाले प्रभावों के चलते Alzheimer के बढ़ते खतरे के बारे में आगाह किया है।
साइंटिफिक रिपोर्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने 50 से अधिक ऐसे मामले पाए जिनमें COVID-19 से रिकवर होने वाले मरीजों में बाल झड़ने, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द, सहित न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी देखी गई जिनमें डिमेंशिया, डिप्रेशन, घबड़ाहट सहित कई अन्य दिक्कतें देखी गई। अल्जाइमर्स डिजीज इंटरनेशनल की चीफ एग्जीक्यूटिव पाओला बारबेरिनो के मुताबिक पूरी दुनिया के डिमेंशिया एक्सपर्ट मानसिक बीमारियों और कोरोना के संबंध को लेकर कर चिंतित हैं।
डायरेक्टर ऑफ डिपार्ट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियर साइंस, फोटिस हेल्थकेयर और साइकैट्रिस्ट समीर पारिख ने बताया कि कोरोना के चलते घर में लम्बे समय तक रहने, दिनचर्चा बदलने, आर्थिक स्थिति खराब होने सहित कई तरह के तनाव के चलते लोगों की मानसिक स्थिति पर असर पड़ा है। इस मानसिक दबाव का असर सबसे अधिक बुजुर्गों और बच्चों पर है। कोरोना अभी हमारे बीच है ऐसे में ये मानसिक तनाव आने वाले समय में कितने लोगों में और किस स्तर की बीमारी का रूप लेगा इसके बारे में अभी कहना जल्दबाजी होगी।
हल्दवानी के साइकेट्रिस्ट डॉक्टर रवि भैंसोडा बताते हैं कि सीवियर कोविड में दिमाग की कुछ सेल्स को भी नुकसान पहुंचता है। वहीं कोरोना के चलते लोगों में मानसिक तनाव भी बढ़ा है। ऐसे में आने वाले समय में डिमेंशिया और अलजाइमर के रोगियों की संख्या बढ़ने की संभावना है। इस बीमारी में मरीज में भूलने और भ्रम की स्थिति पैदा होती है। अगर आपके किसी परिवार के सदस्य में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उससे अकेला न रहने दें। किसी साइकेट्रिस्ट से भी तुरंत संपर्क करें।
अलजाइमर के लक्षण
– याद्दाश्त कमजोर होना, मरीज लोगों के नाम, महत्वपूर्ण तारीखें, शब्द, जरूरी बातें भूलने लगता है।
-एकाग्रता में कमी होती है और व्यक्ति काम को करने में ज्यादा समय लगाता है।
– व्यक्ति को प्लानिंग करने में मुश्किल आती है, आंकड़ों भूल जाते हैं।
– घर के सामान्य काम करने में भी मुश्किल आती है। घर के आस-पास के भी रास्ते याद नहीं रहते।
पढ़ने, आकलन करने, दूरी मापने, रंगों की अलग पहचान करने आदि में मुश्किल आती है।
– व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों से दूरी बना लेता है। ऐसे लोग अपने शौक, खेल, पारिवारिक आयोजनों से भी दूरी बना लेते हैं।
– व्यक्ति का मूड बार बार बदलता है। व्यक्ति कंफ्यूज रहता है। उसे छोटी छोटी बातों से डर लगता है।
अलजाइमर एसोसिएशन के मुताबिक भारत में 40 लाख से अधिक लोगों को किसी न किसी प्रकार का डिमेंशिया है। दुनिया भर में कम-से-कम 4 करोड़ 40 लाख लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं, जो इस रोग को एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनाता है।
इस बीमारी से ऐसे बचें
लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएं, धूमपान और शराब का सेवन करने से बचें, नींद पूरी लें, ताजे फल और सब्जियां अपने खाने में जरूर शामिल करें, रोज हल्का व्यायाम करें, किसी तरह के तनाव को नजरअंदाज नहीं करें, डिप्रेशन महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल रखें, परिवार के सदस्यों से लगातार बातचीत करें, अकेले रहने से बचें
विश्व अल्जाइमर्स दिवस का इतिहास
जर्मन साइकैट्रिस्ट Alois Alzheimer ने 1901 में पहली बार अलजाइमर बीमारी का पता लगाया। ये बीमारी उन्हें एक 50 साल की जर्मन महिला में मिली। इसी के चलते इस बीमारी का नाम Alzheimer पड़ा। इस बीमारी के खतरे और दुनिया भर में इस बीमारी के इलाज में मदद के लिए 1984 में Alzheimer Disease International की स्थापना की गई। अपने दस साल पूरे होने पर 1994 में इस संस्था ने World Alzheimer’s Day मनाने का ऐलान किया। हर साल 21 September को World Alzheimer’s Day मनाया जाता है।