Union Budget 2023-24: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो सकता है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, संसद का बजट सत्र छह अप्रैल तक चल सकता है। सत्र की शुरुआत लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र से होगी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले सरकार को संसद में केंद्रीय बजट या बजट पेश करना जरूरी होता है। केंद्रीय बजट किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज है। यह वित्तीय वर्ष हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होता है। उम्मीद है वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट यानी यूनियन बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को संसद के बजट सत्र के दौरान पेश करेंगी।
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# 31 जनवरी से शुरू हो होगा संसद का बजट सत्र
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो सकता है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, संसद का बजट सत्र छह अप्रैल तक चल सकता है। सत्र की शुरुआत लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र से होगी। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू दोनों सदनों को संबोधित करेंगी। यह उनका संसद के दोनों सदनों में पहला संबोधन होगा।
# केंद्रीय बजट से पहले संसद के दोनों सदनों में पेश होगा आर्थिक सर्वे
जानकारी के मुताबिक, बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में इकोनॉमिक सर्वे को पेश किया जाएगा। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट एक फरवरी को पेश किया जा सकता है। सत्र का पहला भाग 10 फरवरी तक जारी रह सकता है। इसके बाद बजट सत्र का दूसरा भाग छह मार्च को शुरू होगा और यह 6 अप्रैल तक चल सकता है।
आइए आसान भाषा में समझें देश के केंद्रीय बजट की बारीकियों को-
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# सरकार के खर्च और आमदनियों का ब्यौरा है यूनियन बजट
केंद्रीय बजट किसी विशेष वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों (Receivables) और देय राशियों (Expenditure) का विवरण होता है। यूनियन बजट को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया किया जाता है। वे हैं पूंजीगत बजट (Capital Budget) और राजस्व बजट (Revenue Budget)।
पूंजीगत बजट : पूंजीगत बजट सरकार से संबंधित पूंजीगत भुगतान और प्राप्तियों से जुड़ा होता है। पूंजीगत प्राप्तियों में जनता से या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लिए जाने वाले ऋण आते हैं। वहीं दूसरी ओर, पूंजीगत भुगतान के अंतर्गत स्वास्थ्य सुविधाओं, उपकरणों के विकास और रखरखाव के साथ-साथ शैक्षणिक सुविधाओं के लिए किए गए खर्च शामिल किए जाते हैं।
राजस्व बजट: राजस्व बजट जैसा कि नाम से पता चलता है राजस्व बजट सभी राजस्व व्यय और प्राप्तियों से जुड़ा होता है। इसमें टैक्स और दूसरे माध्यमों से होने वाली आमदनी और उसके खर्चे को दर्शाया जाता है। यदि राजस्व व्यय राजस्व प्राप्तियों से अधिक है, तो सरकार को राजस्व घाटे का सामना करना पड़ता है।
# केंद्रीय बजट का महत्व
केंद्रीय बजट का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता के साथ-साथ हमारे देश का तेज और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करना होता है। यह देश की दशा और दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
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आइए देश के केंद्रीय बजट का महत्व उजागर करने वाले इसके विभिन्न उद्देश्यों पर एक नजर डालें
- विभिन्न मदों में संसाधनों का कुशल आवंटन सुनिश्चित करना
केंद्रीय बजट के माध्यम से सरकार अपने यहां उपलब्ध संसाधनों को देश के सर्वोत्तम हित में विभिन्न मदों में आवंटन सुनिश्चित करने की कोशिश करती है। संसाधनों का तर्कसंगत आवंटन सरकार को उन संसाधनों से अधिकतम लाभ अर्जित करने में मदद करता है। ऐसा कर देश में सार्वजनिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चल रही योजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए राशि जुटाई जाती है।
- बेरोजगारी और गरीबी के स्तर को कम करना
केंद्रीय बजट का एक उद्देश्य गरीबी को खत्म करना और अधिक से अधिक रोजगार का सृजन करना भी है। केंद्रीय बजट के माध्यम से सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि देश के प्रत्येक नागरिक को उचित स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं मिले। इसके साथ ही सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि देश के नागरिक अपने लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हों।
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- धन और आय की असमानताओं को कम करना
बजट सब्सिडी और करों के माध्यम से आय के वितरण को प्रभावित करता है। बजट में सरकार ये सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि अमीर वर्ग पर कर की उच्च दर लगाई जाए। जिससे उनकी डिस्पोजेबल आय एक हद में रहे। दूसरी ओर सरकार निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए करों की दर कम रखने की कोशिश करती है ताकि उनके पास अपने खर्चे चलाने के लिए पर्याप्त आमदनी बनी रहे।
- कीमतों पर नियंत्रण
केंद्रीय बजट आर्थिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है। यह मुद्रास्फीति (Inflation) और अपस्फीति (Deflation) का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करता है। इस तरह आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना भी बजट का एक मुख्य उद्देश्य है। मुद्रास्फीति के दौरान, अधिशेष बजट नीतियों को लागू किया जाता है। उसके उलट घाटे की बजट नीतियां अपस्फीति के दौरान तैयार की जाती हैं। यह अर्थव्यवस्था में कीमतों को नियंत्रित रखने में अहम योगदान अदा करता है।
- देश के टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव
केंद्रीय बजट में देश के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में संभावित परिवर्तनों को भी निर्धारित करता है। बजट के माध्यम से आयकर दरों और कर ब्रैकेट में बदलाव लाने की भी घोषणा करती है। केंद्रीय बजट वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है और देश की आर्थिक स्थिति पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में, देश के हर आम आदमी के पास इसकी बेसिक जानकारी होनी जरूरी है।