साल 2022 में भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका कंगाली की कगार (Sri Lanka Crisis) पर पहुंच गया…महंगाई (Inflation) से जनता त्राहिमाम करती दिखी तो राजनीतिक गलियारों में घमासान जारी रहा. अब नया साल 2023 शुरू हो चुका है और श्रीलंका जैसे ही हालात नजर आ रहे हैं हमारे दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) में…जहां महंगाई दर आसमान छू रही है, मूलभूत सुविधाएं लोगों से दूर होती जा रही हैं और विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में कमी आती जा रही है. आइए नजर डालते हैं पाकिस्तान में मचे कोहराम पर…
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लोगों की पहुंच से दूर जरूरी सामान
श्रीलंका की तरह ही पाकिस्तान भी आर्थिक बदहाली (Pakistan Financial Crisis) के हालातों का सामना कर रहा है. देश की सरकार ने भी अब इसे मान लिया है. पाक रक्षा मंत्री ने खुद कहा है कि देश गंभीर स्थिति से गुजर रहा है. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) हो, खाने-पीने के सामान हों या फिर रसोई गैस और बिजली…हर चीज स्थानीय लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है. देश में महंगाई का आलम ये है कि मुद्रास्फीति दर दिसंबर 2022 में बढ़कर 24.5 फीसदी पर पहुंच चुकी है. इसके अलावा पाक पर कर्ज भी लगातार बढ़ रहा है.
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महंगाई दर 25% के करीब पहुंची
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) दिसंबर में 24.5 फीसदी हो गया. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (PBS) के डाटा को देखें तो एक साल पहले की समान अवधि में ये आंकड़ा 12.28 फीसदी दर्ज किया गया था. सीपीआई में साल-दर-साल इजाफा देखने को मिल रहा है और इसे काबू में करने के सरकार के सभी उपाय फेल नजर आ रहे हैं. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने भी देश के हालातों को देखते हुए इसके 23 से 25 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जाहिर किया था. आंकड़ों से पता चलता है कि पाकिस्तान में खाद्य मुद्रास्फीति साल-दर-साल 35.5 फीसदी बढ़ी है, जबकि परिवहन की कीमतें 41.2 फीसदी और कपड़े व जूतों की कीमतों में 17.1 फीसदी की जोरदार तेजी आई है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बुरा दौर
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) भी श्रीलंका की तरह ही बुरे दौर से गुजर रही है. यहां पर महंगाई ने कैसे कोहराम मचाया हुआ है. इसका अंदाजा चिकन और एलपीजी की कीमतें देखकर ही लगाया जा सकता है. देश में चिकन और मीट आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है. डॉन की रिपोर्ट पर गौर करें तो पाकिस्तान में चिकन 650 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ये 800 रुपये प्रति किलो पर पहुंच सकता है. एलपीजी गैस की बात करें तो कमर्शियल गैस सिलेंडर 10000 पाकिस्तानी रुपये में मिल रहा है, लोग बढ़ते दामों की चिंता में प्लास्टिक बैग्स में एलपीजी स्टोर करने को मजबूर हैं.
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आसमान पर आटा-चीनी-घी के दाम
Pakistan में गैस-चिकन के अलावा आटा, चीनी और घी के दामों में सालाना आधार पर 25 से 62 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिल रहा है. डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं संकट भी चिंता का सबब बनने लगा है. देश के कई हिस्सों में गेहूं का संकट गहरा गया है. साफ शब्दों में कहें तो इसी तरह के हालात रहे तो आने वाले दिनों में पाकिस्तानी लोगों की थाली से रोटी गायब हो सकती है. रिपोर्ट की मानें तो इस्लामाबाद में रोजाना गेहूं की खपत 20 किलो के 38,000 बैग्स की है, लेकिन यहां संचालित 40 आटा मिलों से 21,000 बैग्स की आपूर्ति हो पा रही है.
बिजली की मांग पूरी करने में असमर्थ
एक ओर जहां स्थानीय लोग गेहूं की किल्लत का सामना कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर सरकार इसके लिए राज्यों के सिर ठीकरा फोड़ रही है. इन सबके बीच पाकिस्तान सरकार के सामने बिजली की कमी (Power Crisis) भी विकराल समस्या बनकर सामने आ गई है. इसका अंदाजा लगाने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी डिफेंस मिनिस्टर ने आनन-फानन में बिजली की खपत कम करने के लिए एक के बाद एक कई आदेश जारी कर दिए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में पावर सप्लाई मांग से करीब 7000 मेगावाट कम है.
बिजली बचाने को सरकार ने किए उपाय
पाकिस्तान सरकार द्वारा बिजली की खपत कम करने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों का जिक्र करें तो देश में बाजारों को रात 8.30 बजे तक बंद करने का आदेश दिया गया है. मॉल और मैरिज हॉल 10 बजे बंद कर दिए जाएंगे. इसके अलावा इलेक्ट्रिक पंखों और बल्बों का प्रोडक्शन जुलाई 2023 तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा सरकारी कार्यालयों में बिजली का उपयोग सीमित करने के लिए रक्षा मंत्री ने सभी मीटिंग्स को दिन के उजाले में करने के निर्देश दिए हैं. शहबाज शरीफ सरकार का मानना है कि इन उपायों के चलते 30 फीसदी तक बिजली की खपत कम की जा सकती है और 62 अरब रुपये की बचत हो सकती है.
गरीबी दर में जोरदार इजाफा
आर्थिक संकट के गुजर रहे Pakistan के स्थानीय मीडिया इंतेखाब डेली के मुताबिक, देश की गरीबी दर में 35.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इसके चलके पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय गरीबी सूचकांक (International Poverty Index) की लिस्ट में 116 देशों में से 92वें स्थान पर पहुंच चुका है. रिपोर्ट में कहा सरकार को सलाह देते हुए कहा गया है कि अगर देश में तेजी से बढ़ती महंगाई दर को नियंत्रित करने में सरकार विफल होती है, तो खाद्य सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है. क्योंकि पहले से ही पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों, अफगानिस्तान संघर्ष, क्लाइमेट चेंज और महंगाई से खाद्य सुरक्षा की स्थिति बदतर हो चुकी है.
Sri Lanka बनने की राह पर पाकिस्तान
कुल मिलाकर ये आंकड़े और हालात लगभग वैसे ही नजर आ रहे हैं, जैसे के श्रीलंका में दिखाई दिए थे. जहां महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे, पेट्रोल-डीजल के लिए लोगों को जान गंवानी पड़ रही थी. बिजली की समस्या लोगों को परेशान करने के साथ ही कारोबारों पर ताले लटकाने का काम कर रही थी. विदेशी मुद्रा भंडार धीमे-धीमे खत्म होता गया था और राजनीतिक उथल-पुथल ऐसी मची थी कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति को देश छोड़कर तक भागना पड़ा था. अगर पाकिस्तान की सरकार ने इन हालातों को जल्द काबू में नहीं किया तो कहीं ऐसा न हो कि देश दूसरा श्रीलंका बन जाए.