RBI Green Bonds: केंद्र सरकार अपने कुल मार्केट बोरोइंग (Market Borrowing) के तौर पर ये सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) जारी करने वाली है.
RBI Green Bonds: देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2 फेज में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी. बैंक 8000-8000 करोड़ रुपए की कीमत के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) जारी करने वाला है. शुक्रवार को आरबीआई ने इस बात की जानकारी दी. बैंक की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि Budget 2022-23 में किए गए ऐलान के मुताबिक, केंद्र सरकार अपने कुल मार्केट बोरोइंग (Market Borrowing) के तौर पर ये सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) जारी करने वाली है. ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए ये बॉन्ड जारी किए जा रहे हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2022 को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड का फ्रेमवर्क जारी किया था.
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2 फेज में इश्यू होंगे SGB
25 जनवरी 2023 को 8000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी होंगे. इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे. इसके अलावा 9 फरवरी 2023 को अगली किस्त के तौर पर 8000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे. जिसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे.
क्यों जारी होंगे सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड?
देश की इकोनॉमी की कार्बन इंटेंसिटी को कम करने के उद्देश्य से ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे. यूनियन बजट 2022-23 (Union Budget 2022-23) में इसके बारे में जानकारी दी गई थी. बता दें कि ग्रीन बॉन्ड्स एक तरह से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं, जिनका इस्तेमाल पर्यावरण को सपोर्ट करने और क्लाइमेट संबंधी प्रोजेक्ट्स को जनरेट करने के लिए किया जाता है.
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क्या होते है ग्रीन बॉन्ड?
ये ऐसे बॉन्ड होते हैं जिनका उपयोग सरकार ऐसी वित्तीय परियोजनाओं में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है. ग्रीन बॉन्ड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लॉन्च किया था. ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो की ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए धनराशि जुटाने में मदद करता है. इन बॉन्ड्स से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक क्षेत्र के उन प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा जिससे इकॉनमी की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो.
ग्रीन बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में शामिल है. इनमें से कुछ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा कुशलता, स्वच्छ परिवहन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स है. सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के ज़रिये विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है. ये बॉन्ड लम्बे और डोमिनेटिंग होते है. एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स से पैसा जुटाना आसान हो जाता है. केंद्र सरकार ने दूसरी छमाही के लिए 5.92 लाख करोड़ रुपए का उधार लेने का लक्ष्य तय किया है.