Kaanum Pongal 2023: पोंगल पर्व चार दिन तक चलता है. इसका समापन कानुम पोंगल के साथ होता है. कन्नम या कानुम पोंगल पर विशेष पकवान बनते हैं और कन्याओं का पूजन किया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को पर्व की बधाई देते हैं.
Kaanum Pongal 2023: दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व बड़े उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है. कृषि व भगवान सूर्य को समर्पित पोंगल का त्योहार चार दिन तक चलता है. पोंगल पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल से होती है और इसका समापन चौथे दिन कन्नम पोंगल के साथ होता है. कानुम या कन्नम पोंगल को कन्नुम पोंगल भी कहते हैं. कानुम पोंगल के दिन लोग एक दूसरे से मिलकर त्योहार की बधाई देते हैं और मिठाइयों का आदान प्रदान करते हैं.
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इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है. आइये पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं कन्नम पोंगल का महत्व और इस दिन क्या विशेष आयोजन होता है.
कन्नम पोंगल का महत्व
पोंगल पर्व के अंतिम दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है. कानुम का अर्थ होता है यात्रा. इसलिए कानुम पोंगल पर मिलन समारोह का आयोजन होता है, जिसमें लोग अपने परिवार रिश्तेदार व अन्य लोगों से मिलते हैं और पोंगल की बधाइयां देने के साथ मिठाइयां देते हैं. इस दिन विशेष प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं और सभी सदस्य एक साथ बैठकर हल्दी के पत्ते पर खाना खाते हैं. इस दिन विशेष चावल, मिठाई, सुपारी, गन्ना आदि परोसे जाते हैं. कानुम पोंगल पर लोग बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं और छोटों को प्यार देते हैं. वहीं, महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाते हुए भगवान से सुख-समृद्धि व उत्तम फसल की कामना करती हैं.
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कन्याओं की पूजा
तमिलनाडु में कानुम पोंगल के दिन कन्याओं के पूजन का भी विधान है. किसान 7 कुंवारी कन्याओं को भोजन कराते हैं और फिर देवी के रूप में उनकी पूजा करते हैं. उनको वस्त्र व आभूषण भेंट करते हैं. इन 7 कन्याओं को सप्त कनिमार भी कहा जाता है. कन्याएं भी इस दिन भगवान से प्रार्थना कर भविष्य में अच्छे वर की कामना करती हैं. इस दिन तमिल लेख, कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर की याद में तिरुवल्लुवर दिवस भी मनाया जाता है. कानुम पोंगल के साथ ही पोंगल पर्व संपन्न हो जाता है.