रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड ऊर्जा विकास निगम की अलग-अलग कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियों ने अपने कर्मियों का वेतन रोक रखा है। इस संबंध में निगम मुख्यालय शिकायतें मिलने के बाद सतर्क है। सभी कंपनियों को ताकीद की गई है कि वे कर्मियों को समय पर वेतन दें। इसके अलावा बकाए का भी भुगतान करें। कर्मचारियों का वेतन बकाया छह माह से लेकर नौ माह तक का है। इसका तत्काल निदान नहीं निकाला गया तो बिजली कंपनियों के कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है।
आउटसोर्सिंग कंपनियों की शिकायतों पर ऊर्जा विकास निगम ने कार्रवाई करते हुए बकाया रखने वाली कंपनियों को नोटिस जारी किया है। इन्हें काली सूची में भी डालने की कार्रवाई की जा रही है। एक वरीय अधिकारी के मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनियों को हर साल लगभग 10 करोड़ का भुगतान किया जाता है। कंपनियों का सारा भुगतान अद्यतन है, लेकिन ये अपने मातहत कार्यरत कर्मियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं करते।
वेतन बकाया रहने के कारण आउटसोर्स कर्मी जनप्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगाते हैं और ऊर्जा विकास निगम की विभिन्न कपंनियों के अधिकारियों की परेशानी बढ़ जाती है। जनप्रतिनिधि इनसे बकाया वेतन के लिए दबाव बनाते हैं, जबकि अधिकारियों का कहना है कि आउटसोर्स कंपनियों को अपने कर्मियों का वेतन भुगतान और श्रम अधिनियम के तहत तमाम सुविधाएं देना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई का प्रविधान है। कार्य लेते समय आउटसोर्स कंपनियां तत्पर रहती हैं, लेकिन बाद में वह कर्मियों के भुगतान में आनाकानी करती है।
आउटसोर्स की बजाय स्थायी समाधान विकल्प
आउटसोर्स कंपनियों से काम लेने की बजाय स्थायी समाधान के विकल्प पर भी ऊर्जा विकास निगम गौर कर रही है। बिहार में कार्यरत बिजली कंपनियों ने इस दिशा में कार्य किया है। इसमें सेवानिवृत कर्मियों को संविदा पर रखने का प्रविधान है। इसी आधार पर इनका नियोजन किया जाता है। इससे काम का बोझ कम हो सकता है। इसमें आरक्षण रोस्टर का भी पालन किया जाता है। इसके अलावा स्थायी समाधान बहाली की प्रक्रिया आरंभ करना है। बिजली कंपनियों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। ऐसे में यह बेहतर विकल्प हो सकता है।