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बच्‍चों के लिए ITR फाइल करने का क्‍या है नियम, कब भरना होता है Tax, 5 पॉन्ट्स में आसानी से समझें

Income Tax Rules for minor child : वैसे तो भारत में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध है लेकिन आजकल बच्चे कई अन्य वैध तरीकों से बड़ी राशि अर्जित कर रहे हैं जो टैक्स के दायरे में आती है.

नई दिल्ली: बजट 2023 (Budget 2023) में करदाताओं (Taxpayers) को बड़ी राहत दी गई. वित्‍तमंत्री ने कहा कि नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) में अब 7 लाख रुपये तक कमाई पर कोई टैक्‍स नहीं देना होगा. अभी तक नए और पुराने टैक्‍स स्‍लैब में रिबेट की लिमिट 5 लाख रुपये थी. वहीं अगर 18 साल से कम का कोई बच्चा या किशोर किसी भी सोर्स (YouTube, Social Media या अन्य) से आय अर्जित करता है उसे भी टैक्स देना होगा. इसके लिए उसकी आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में आनी चाहिए. वैसे तो भारत में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध है लेकिन आजकल बच्चे कई अन्य वैध तरीकों से बड़ी राशि अर्जित कर रहे हैं जो टैक्स के दायरे में आती है.

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ऐसा नहीं करने पर आयकर विभाग पैरेंट्स को नोटिस जारी कर सकता है. आयकर विभाग ने माइनर चाइल्ड (अवयस्क संतान) की कमाई (ITR on Minor Child Earnings) या उसे गिफ्ट्स के रूप में मिले रुपये, संपत्ति, इनवेस्टमेंट आदि को टैक्स के दायरे में रखा है. चलिए जानते हैं क्या हैं नियम….

4800 से अधिक नाबालिगों ने दाखिल किया ITR
जब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की बात आती है तो उम्र कोई बहाना नहीं है. बहुत से करदाताओं को पता नहीं है कि बच्चों/नाबालिगों को भी कर का भुगतान करना पड़ता है और अगर वे कुछ आय अर्जित कर रहे हैं तो रिटर्न दाखिल करना होता है. वित्त वर्ष 2022-23 में 31 जनवरी 2023 तक 18 वर्ष से कम आयु के 4800 से अधिक नाबालिगों ने अपना आईटीआर दाखिल किया.

क्या कहता है आयकर कानून
टैक्सबडी के संस्थापक सुजीत बांगड़ के अनुसार, ‘आयकर नियम कहते हैं कि 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को नाबालिग माना जाता है और उन पर अलग तरह से कर लगाया जाता है. नाबालिगों को अपना टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती है, और उनकी आय को उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों की आय के साथ जोड़ दिया जाता है,” आयकर अधिनियम के सेक्शन 64 (1A) के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के पैसों को अभिभावक के आयकर टैक्स रिटर्न के साथ क्लब किया जाएगा. इसका मतलब है कि बच्चे की दौलत पर इनकम टैक्स रिटर्न पिता को भरना होगा.

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कब मिलती है छूट 
अगर बच्चा एक वर्ष में 1500 रुपये से कम है, तो इसे माता-पिता की आय में जोड़ा जाएगा, और 1,500 रुपये तक की कमाई पर धारा 10 (32) के तहत छूट उपलब्ध होगी. तो ऐसे मामले में कोई टैक्स नहीं लगेगा. इस आय में ब्याज आय, लाभांश आय आदि शामिल हो सकते हैं. यदि आय एक वर्ष में 1500 रुपये से अधिक है, तो इस आय को पेरेंट्स की इनकम माना जाएगा, और माता-पिता को यहां टैक्स देना होगा. हालांकि, पेरेंट्स को नाबालिगों की इनकम पर प्रति बच्चे प्रति वर्ष 1,500 रुपये की टैक्स छूट उपलब्ध है.

जानकारों के अनुसार यदि कोई नाबालिग इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग या अन्य माध्यमों से इनकम जेनरेट कर रहा है तो तो नाबालिग की ओर से टैक्स का भुगतान करना माता-पिता या अभिभावक की जिम्मेदारी मानी जाती है. हालांकि, अगर नाबालिग की आय एक वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा से ज्यादा है जो मौजूदा समय में 2.5 लाख रुपये है तो नाबालिग को अतिरिक्त राशि पर टैक्स का भुगतान करना होगा.

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