Edible Oil Price: होली से पहले देश में खाने के तेल के दामों में नरमी देखी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, देश में जरुरत से कहीं ज्यादा खाद्य तेलों का आयात हो रखा है जिसकी वजह से देशी तेल-तिलहन पस्त हैं.
नई दिल्ली. होली की रसोई में इस बार राहत मिलने की संभावना है. इस बार पुआ-पूड़ी, कचौड़ी, पकौड़ी, पापड़, भजिया आदि तलने के लिए महिलाओं को कम रकम खर्च करनी पड़ेगी. दरअसल, दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को अधिकांश तेल तिलहनों में भारी गिरावट रही. सस्ते आयातित तेल के आगे देशी तेल तिलहनों के नहीं टिक पाने से सरसों एवं सोयाबीन तेल तिलहन और बिनौला तेल की कीमतों में गिरावट आई जबकि कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन तेल सहित मूंगफली तेल तिलहन के भाव पहले के स्तर बंद हुए.
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बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में कारोबार शुक्रवार शाम को बंद था. लिहाजा पाम और पामोलीन तेल पर बाजार का असर सोमवार को मलेशिया एक्सचेंज के खुलने पर पता लगेगा. वैसे सिर्फ भाव ही ऊंचे बोले जा रहे हैं लेकिन लिवाली कम है. मूंगफली की हैसियत अब ‘ड्राई फ्रूट’ जैसी है और थोड़ी बहुत निर्यात की मांग भी है, इसलिए उस पर सस्ते आयातित तेलों का बिल्कुल असर नहीं हो रहा है.
मंडियों में सरसों की आवक बढ़ी
सूत्रों के मुताबिक, देश में जरुरत से कहीं ज्यादा खाद्य तेलों का आयात हो रखा है जिसकी वजह से देशी तेल-तिलहन पस्त हैं. देश की मंडियों में सरसों की आवक शनिवार को बढ़कर 8-8.25 लाख बोरी हो गई. मध्य प्रदेश के सागर में पिछले साल के बचे सरसों की बिक्री 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर हुई जो 5,000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से काफी कम है. इस पुराने सरसों के स्टॉक में तेल की मात्रा थोड़ी कम होती है. सस्ते आयातित तेलों पर नकेल नहीं लगाई गई तो सरसों की नयी फसल भी एमएसपी से नीचे बिक सकती है.
बिनौला तेल की सबसे अधिक खपत गुजरात में
यही हाल सोयाबीन और बिनौला का भी है. पहले देश के बाकी राज्यों के मुकाबले गुजरात में बिनौला तेल दो-तीन रुपये प्रति किलो अधिक रहता था क्योंकि इस तेल की सबसे अधिक खपत गुजरात में होती है. मगर इस बार सस्ते आयातित तेलों के दबाव में बाकी राज्यों से बिनौला तेल के भाव लगभग एक रुपये प्रति किलो कम हो गया है.
देशी तेल-तिलहनों के लिए मुश्किल हालात
सूत्रों ने कहा कि विदेशी तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की छूट ने देशी तेल तिलहनों के लिए मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं. किसानों की सरसों नहीं बिकी तो उनका भरोसा तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर से हट सकता है. ऐसे में यह देश और किसानों के हित में होगा कि देशी तेल तिलहनों के खपने की स्थिति बनाने के लिए शुल्कमुक्त आयातित तेलों को दी गई छूट तत्काल खत्म की जाए.
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मिल्क, मिल्क प्रोडक्ट, अंडे, चिकेन आदि महंगे
इसके अलावा देशी खाद्य तेलों से मिलने वाले खल और डीआयल्ड केक (DOC) की कमी की वजह से इनके दाम महंगे हुए हैं जिससे मिल्क, मिल्क प्रोडक्ट, अंडे, चिकेन आदि महंगे हो रहे हैं. इस दिशा में संबंधित प्राधिकारियों को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि देश के तिलहन उत्पादक किसानों के हित में सरकार को तत्काल सस्ते आयातित तेलों पर अधिकतम सीमा तक आयात शुल्क लगाने के बारे में विचार करना चाहिए.
25 फरवरी को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,480-5,530 (42 फीसदी कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली – 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,550 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन
सरसों तेल दादरी- 11,280 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी- 1,830-1,860 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी- 1,790-1,915 रुपये प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,780 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,320 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,440 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,480 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना – 5,405-5,535 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज- 5,145-5,165 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल