Deficiency of omega-3 fatty acid: जब कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन नहीं करता है, तो उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है. आइए जानते हैं क्या?
Deficiency of omega-3 fatty acid: ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं. ये फैटी एसिड कुछ प्रकार की मछलियों में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं (जैसे सैल्मन). इसके अलावा, नट और कई तरह के बीज भी ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं. वहीं, जब कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन नहीं करता है, तो उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है. आइए जानते हैं कि ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं.
ये भी पढ़ें– Train Reschedule: रेलवे ने जारी की जरूरी सूचना, इन ट्रेन के शेड्यूल में बड़ा बदलाव, तुरंत करें चेक
दिल की बीमारी
ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजन को कम करने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने और ब्लड को कम करने में मदद करता है. अगर शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाए तो दिल की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.
समझने की क्षमता में गिरावट
शोध से पता चलता है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड दिमाग की सेहत को बनाए रखने, समझने की क्षमता में गिरावट और डिमेंशिया के खतरे को कम करने में भूमिका निभा सकता है.
ये भी पढ़ें– PAN-Aadhaar Linking Penalty: पैन को आधार से लिंक करते वक्त 1000 रुपये का जुर्माना कैसे भरते हैं? जान लें प्रोसेस
डिप्रेशन और एंग्जाइटी
कई अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों में ओमेगा-3 फैटी एसिड का लेवल कम होता है, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
सूजन
ओमेगा-3 फैटी एसिड में सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं, और इन पोषक तत्वों की कमी पुरानी सूजन में योगदान कर सकती है, जो कई बीमारियों से लिंक होती है.
ये भी पढ़ें– Pan Card एक्टिव है या नहीं? घर बैठे सिर्फ 1 मिनट में चेक करें, आपके पास बचा है कम टाइम- फिर चुकाने होंगे ₹10,000
स्किन की समस्याएं
ओमेगा-3 फैटी एसिड हाइड्रेशन को बढ़ावा देकर और सूजन को कम करके हेल्दी स्किन को बनाए रखने में मदद करता है. इन पोषक तत्वों की कमी से ड्राई स्किन, एक्जिमा और स्किन की अन्य समस्याएं हो सकती हैं.
यह ध्यान देने वाली बात है कि ओमेगा-3 की कमी इन स्वास्थ्य समस्याओं के विकास में योगदान दे सकती है, यह किसी एक बीमारी का एकमात्र कारण होने की संभावना नहीं है. इसके अलावा, अन्य फैक्टर, जैसे जेनेटिक, लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारण भी इन स्थितियों के विकास में योगदान कर सकते हैं.