GST को लेकर आजकल कई तरह के फर्जीवाड़े (GST Fraud) सामने आ रहे हैं इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त नियम लागू करने का प्लान बनाया है.
नई दिल्ली. फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन का पता लगाने और फर्जी इनपुट कर क्रेडिट (ITC) के दावे का अनुचित फायदा उठाने वाले धोखेबाजों की पहचान के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर अधिकारियों ने दो महीने का एक विशेष अभियान शुरू किया है. ऐसे लोग माल एवं सेवा कर (GST) के मंच पर फर्जी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उसके आधार पर फर्जी रसीदों के सहारे आईटीसी के दावे करते हैं और किसी भी तरह की सेवा या उत्पाद की आपूर्ति के बगैर ही वह राशि अपने खाते में जमा करा लेते हैं.
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वित्त वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी कर चोरी होने का अनुमान है. इस दौरान जीएसटी आसूचना महानिदेशालय ने 21,000 करोड़ रुपये की कर वसूली भी की. इसे देखते हुए कर अधिकारियों ने फर्जी पंजीकरण पर नकेल कसने की कवायद शुरू की है.
16 मई से 15 जुलाई तक चलेगा अभियान
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के जीएसटी नीति प्रकोष्ठ ने गत दिनों केंद्रीय कर प्रमुख मुख्य आयुक्तों को लिखे पत्र में कहा था कि फर्जी आईटीसी का लाभ लेने के लिए फर्जी जीएसटी पंजीकरण और फर्जी रसीदें जारी करने का तरीका अपनाया जा रहा है. सीबीआईसी ने कहा था कि इस तरह से बेइमान लोग संदिग्ध और जटिल लेनदेन के जरिये सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाते हैं.
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केंद्र एवं राज्यों के सभी कर विभागों ने 16 मई से 15 जुलाई तक चलने वाला एक विशेष अभियान शुरू किया है. इस दौरान संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ ही फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) से बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. इनमें से फर्जी पंजीकरणों की पहचान के लिए जीएसटीएन पर विस्तृत आंकड़ा विश्लेषपण और जोखिम मानकों का सहारा लिया जाएगा.
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फर्जी पंजीकरण की जानकारी मिलने के बाद संदिग्ध जीएसटी पहचान नंबर के सत्यापन के लिए तय अवधि में कदम उठाया जाएगा. अगर आधार पर आधारित सत्यापन प्रक्रिया के दौरान संबंधित करदाता काल्पनिक पाया जाता है तो उस पंजीकरण को निरस्त करने के लिए फौरन कदम उठाए जाएंगे. फिलहाल देशभर में जीएसटी प्रणाली के तहत करीब 1.39 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं. एकसमान अप्रत्यक्ष कर के तौर पर जीएसटी व्यवस्था जुलाई, 2017 में लागू की गई थी.