क्वेक यू शुआन को 13 महीने तक आईसीयू में ही रखा गया था. एक वक्त के लिए ऐसे हालात हो गए कि बच्ची को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. अभी बच्ची का वजन 6.3 किलोग्राम है. माना जाता है कि ये बच्ची प्रीमेच्योर केस में दुनिया की सबसे छोटी बच्ची है.
आमतौर पर जन्म के वक्त बच्चे का वजन 2 से 4 किलो होता है, मगर सिंगापुर में एक बच्ची का वजन 212 ग्राम था. बच्ची का जन्म 5वें महीने में ही हो गया था. इसके कई अंग विकसित नहीं हुए थे. ऐसे में जन्म के बाद से ही बच्ची को आईसीयू में रखा गया था. अब रविवार को 13 महीने बाद बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. (तस्वीर – Kwek family)
सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में बीते साल 9 जून को इस बच्ची का जन्म हुआ था. जन्म के समय उसकी लंबाई 24 सेंटीमीटर थी और वजन 212 ग्राम था. इतना वजन आमतौर पर एक सेब का होता है.(तस्वीर – Kwek family)
बच्ची का नाम क्वेक यू शुआन रखा गया है. आईसीयू में बच्ची की देखभाल करने वाली नर्स खुद उसे देखकर हैरान हो गई थीं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, नर्स ने कहा था- ‘मैंने 22 साल के करियर में ऐसा केस नहीं देखा था. बच्ची इतनी छोटी थी.’ (तस्वीर – Kwek family)
क्वेक यू शुआन को 13 महीने तक आईसीयू में ही रखा गया था. एक वक्त के लिए ऐसे हालात हो गए कि बच्ची को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. अभी बच्ची का वजन 6.3 किलोग्राम है. माना जाता है कि ये बच्ची प्रीमेच्योर केस में दुनिया की सबसे छोटी बच्ची है. (तस्वीर – Kwek family)
समय से पहले बच्ची का इलाज करना भी काफी चुनौतीपूर्ण था. उसकी त्वचा इतनी नाजुक थी कि डॉक्टर उसकी जांच नहीं कर सकते थे, उसका शरीर इतना छोटा था कि डॉक्टरों के सबसे छोटी साइज की सांस की नली तलाशनी पड़ी थी. उसके लिए एक डायपर को तीन हिस्से करके पहनाने पड़ते थे, ताकि ये बच्ची को फिट हो सके. (सांकेतिक फोटो)
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच इस विपरीत हालात में भी बच्ची को जिंदा रहना कुदरत के करिश्में से कुछ कम नहीं है. महामारी के उथल-पुथल के बीच ये एक आशा की किरण जैसा है. (सांकेतिक फोटो)