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1853 में चली थी भारत की पहली ट्रेन, लेकिन क्या आप जानते हैं, भारत को कब मिली थी इसकी कमान

ट्रेन से जुड़ी कई चीजें आपको पता होंगे. अगर आप रेलवे में रूची रखते हैं तो आपको यह भी होगा कि भारत की पहली ट्रेन कब चली थी. लेकिन क्या आपको ये पता है हमारे देश के पास रेलवे की कमान कब आई, कब यह भारतीय रेलवे बनी.

नई दिल्ली. भारत में अधिकतर लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं. भारत में रेल यात्रा सस्ती और आरामदायक है. इसकी वजह से भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन माना जाता है. दुनिया में भारतीय रेलवे चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. भारत में रेलवे स्टेशन की कुल संख्या करीब 8000 है. समय के साथ भारतीय ट्रेनों और स्टेशनों में काफी बदलाव आया है. भारतीय रेलवे का इतिहास 170 साल पुराना है.

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देश में पहली ट्रेन 170 साल पहले यानी 16 अप्रैल, 1853 में शुरू हुई. देश में पहली ट्रेन तत्कालीन बंबई के बोरीबंदर से लेकर ठाणे के बीच चली थी. ये ट्रेन दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर मुंबई से निकली और 4 बजकर 45 मिनट पर ठाणे पहुंची. करीब 35 किलोमीटर के इस सफर को पूरे करने में इसे 1 घंटा और 10 मिनट का समय लगा. लेकिन आप जानते हैं हमारे देश के पास रेलवे की कमान कब आई. कब रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ था. चलिए हम बताते हैं.

भारत को कब मिली थी कमान
जब 1947 में, भारत में ब्रिटिश राज का तो अंत हुआ तब देश को दो भागों में विभाजित कर दिया गया, जिससे रेलवे पर भी प्रभाव पड़ा क्योंकि नव निर्मित 40% से अधिक नेटवर्क पाकिस्तान में चले गए थे. 1950 1951 में, रेलवे नेटवर्क को ज़ोन में पुनर्गठित करना शुरू कर दिया था. भारत और पाकिस्तान के बीच पहली ट्रेन, समझौता एक्सप्रेस, 1976 में अमृतसर और लाहौर के बीच चलना शुरू हुई थी. अगर रेलवे के राष्ट्रीयकरण की बात करें तो भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण 1950 में हुआ था. 1952 में छह जोनों के साथ जोनल सिस्टम शुरू हुआ था. 1954 में, रेलवे ने 3 टायर रेलवे कोच में सोने की सुविधा को शुरू किया.

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लार्ड डलहौजी ने लिया था फैसला
ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में आने के करीब 200 सालों के बाद 1825 में पहली बार ब्रिटेन में ट्रेन चली. इसने स्टॉकटन से डार्लिंगटन तक की दूरी तय की थी. अगले कुछ साल में वहां लोग ट्रेन का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह जाने और माल ढोने के लिए करने लगे. फिर 1832 में ब्रिटेन की तर्ज पर भारत में ट्रेन चलाने के लिए दक्षिणी भारत से ब्रिटिश अधिकारी के पास प्रस्ताव आया. लेकिन, इस वक्त इस पर ज्यादा काम नहीं हो पाया. 1848 में लार्ड डलहौजी जब भारत के गवर्नर जनरल बने तो उन्होंने भारत में ट्रेन चलाने का फैसला किया.

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