ट्रेन में सफर करने वाले यात्री यह जरूर जानना चाहते हैं कि उनका सफर कितना सुरक्षित है. रेलवे आम लोगों यात्रा को कितना सुरक्षित बना रहा है. यहां जानें.
नई दिल्ली. सफर करने के लिए सबसे सस्ता और अच्छा साधन ट्रेन है. हालंकि ट्रेन में सफर करने वाले यात्री यह जरूर जानना चाहते हैं कि उनका सफर कितना सुरक्षित है. रेलवे आम लोगों की यात्रा को कितना सुरक्षित बना रहा है. इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. पहले के मुकाबले अब ट्रेन में यात्रा करना कितना सुरक्षित हो गया है. आइए जानें इस तरह के तमाम सवालों के जवाब.
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केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी आई है. दुर्घटनाएं 2000-01 में 473 से घटकर 2022-23 में 48 हो गई हैं. 2004-14 की अवधि के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या 171 प्रति वर्ष थीं, जबकि 2014-23 की अवधि के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या घटकर 71 प्रति वर्ष हो गयीं.
रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (आरआरएसके) के नाम से एक महत्वपूर्ण कोष का गठन किया है, 2017-18 में पांच साल के लिए 1 लाख करोड़ के कोष के साथ शुरू किया गया है. आरआरएसके कार्यों पर 2017-18 से 2021-22 तक कुल 1.08 लाख करोड़ का खर्च आया.
उन्होंने यह भी बताया कि मानवीय विफलता के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए 31 मई 2023 तक 6427 स्टेशनों पर पॉइंट और सिग्नल के केंद्रीकृत संचालन के साथ इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाया गया है. लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 31 मई 2023 तक 11093 लेवल क्रॉसिंग गेटों पर लेवल क्रॉसिंग गेटों की इंटरलॉकिंग प्रदान की गई है.
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लोको पायलटों की सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें लोकोमोटिव सतर्कता नियंत्रण उपकरणों (वीसीडी) से लैस किया गया है. लोको पायलट समय पर अलर्ट प्राप्त करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम हैं.