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हिमाचल प्रदेश

Himachal में बार-बार क्यों हो रहे हैं Landslides? विशेषज्ञों ने बताई वजह, 55 दिन में 113 भूस्खलन से गई कई जानें

हिमाचल प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने में 113 भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं. इसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई तो सैकड़ों घर तबाह हो गए.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश (rain) और लैंडस्लाइड (landslides) से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों (state emergency operation centre) के अनुसार, पिछले 55 दिनों में 113 लैंडस्लाइड हुए. साल 2022 की तुलना में इस साल हिमाचल में लैंडस्लाइड में छह गुना की बढ़ोतरी देखी गई. 2020 में 16 लैंडस्लाइड की तुलना में इस साल 117 बड़े लैंडस्लाइड हुए. इस दौरान सैकड़ों रोड पर मलबे आ गए. सैकड़ों घर जमींदोज हो गए. इसकी वजह से कई लोगों की जान चली गई.

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हिमाचल में बार-बार भूस्खलन क्यों होता है? (Why Himachal Witnesses Frequent Landslides)

हिमाचल प्रदेश में बार-बार लैंडस्लाइड क्यों होता है. इस सवाल का जवाब देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालय में गलत तरीके से निर्माण, घटते वन क्षेत्र और पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करने वाली नदियों के पास संरचनाएं हिमाचल प्रदेश में लगातार भूस्खलन का कारण बन रही हैं.

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सड़कों का चौड़ीकरण, सुरंगों के लिए विस्फोट

भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर ने बताया,सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों के लिए विस्फोट और जलविद्युत परियोजनाएं स्लाइड में वृद्धि के मुख्य कारण हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में केवल 5-10 फीट की रिटेनिंग दीवारों के साथ सड़क निर्माण के लिए पहाड़ों की कटाई देखी गई है.

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उचित जल निकासी व्यवस्था का अभाव

अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि तलहटी में चट्टानों के कटने और उचित जल निकासी व्यवस्था की कमी के कारण हिमाचल प्रदेश में ढलानें लैंडस्लाइड को बढ़ावा दे रही है. राज्य में भारी बारिश से हालात बदतर हो रहे हैं. सुरेश अत्रे ने कहा था कि भारी बारिश और तापमान में बढ़ोतरी के कारण तलहटी में नीचे की ओर कटान वाले स्थानों पर परत ढीली होने के कारण भूस्खलन हो रहा है.

हिमाचल में औसत वर्षा

हिमाचल प्रदेश में जून से सितंबर तक पूरे मानसून सीजन के दौरान औसतन लगभग 730 मिमी बारिश होती है, लेकिन मौसम विभाग के अनुसार इस साल अब तक राज्य में 742 मिमी बारिश हो चुकी है.चम्बा (133) इसके बाद मंडी (110), कांगड़ा (102), लाहौल और स्पीति (91), ऊना (63), कुल्लू (55), शिमला (50), सोलन (44), बिलासपुर (37), सिरमौर (21) और किन्नौर (15 मिमी) में बारिश हो चुकी है.

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प्रमुख लैंडस्लाइड स्थलों की सूची

हिमाचल के झंडोता और काकरोटी गांव और चंबा में सपडोथ पंचायत शामिल हैं. कांगड़ा में मैक्लोडगंज पहाड़ी और बरियारा गांव; बारीधार से कल्याण घाटी रोड, सलोगरा के पास मानसर, सोलन में जबलपटवार गांव और कोटरूपी, दोआडा हनोगी और मंडी जिले में पंडोह और नागनी गांव के पास लैंडस्लाइड की ज्यादा संभावना है. इसके अलावा निगुलसारी, किन्नौर में उरनी ढांक, बटसारी, नेसांग, पुरबनी जुल्हा शामिल हैं.

शिमला जिले में ऐसे दस स्थलों की पहचान की गई है: कृष्णा नगर, हलोग, बांग्ला कॉलोनी, टोटू, बाल्डियां, मेहली-मल्याणा रोड, नेरवा रेस्ट हाउस, पट्टी ढांक, नियानी, धराली, कूल खड्ड, ब्राउनी खड्ड और लदानाला, कोटिघाट और जिस्कोन। रोहड़ू-चिरगांव-ओडटाक्वार सड़क. नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो, हैदराबाद द्वारा तैयार किए गए भारत के भूस्खलन एटलस के अनुसार, हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील हैं.

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