पिछले कुछ दिनों से खुदरा मंडी में टमाटर के अलावा अन्य सब्जियों की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं. इसके कारण आम आदमी के घर का बजट भी गड़बड़ा गया है. लेकिन आने वाले दिनों में टमाटर के साथ ही सब्जियों के रेट भी कम होने वाले हैं.
नई दिल्ली. पिछले कुछ महीनों से आम आदमी पर लगातार महंगाई की मार पड़ रही है. पहले टमाटर की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की थाली से टमाटर को गायब कर दिया था. अब अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं. हालांकि बीते दिनों टमाटर के रेट में कमी आई है. 140 से 180 रुपये किलो बिकने वाले टमाटर का रेट गिरकर 50 रुपये प्रति किलो पर आ गया है. अब सितंबर से सब्जियों की कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है. इसका मुख्य कारण टमाटर की कीमतें हैं, जो पहले से ही कम होने लगी हैं क्योंकि सप्लाई ज्यादा उपलपब्ध है.
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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जुलाई में सब्जियों की कीमतों में जो बढ़ोतरी देखी गई थी, वह अब उलटने लगी है. यह कमी मुख्य रूप से टमाटर की कीमतों में देखी जा रही है, क्योंकि बाजारों में अधिक टमाटर लाए जा रहे हैं, जिससे कीमतें नीचे जा रही हैं.
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सितंबर से सब्जी सस्ती होने की उम्मीद
इसके अलावा, प्याज की सप्लाई प्रबंधन के लिए भी कदम उठाए गए हैं, जिससे कीमतों को स्थिर करने में भी मदद मिल रही है. कुल मिलाकर, यह अनुमान है कि सितंबर से सब्जियों की मुद्रास्फीति दर काफी धीमी हो जाएगी. सब्जियों और अनाजों की बढ़ती कीमतों के कारण जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% हो गई जो 15 महीनों में सबसे अधिक है. यह वृद्धि पिछले तीन महीनों तक 6% की ऊपरी सीमा से नीचे रहने के बाद हुई. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि थी.
सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदम
गवर्नर दास ने बताया कि अनाज फसलों की कीमतों में सुधार की उम्मीद पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का परिणाम है. उन्होंने यह भी दोहराया कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के आसपास रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. आरबीआई ने पिछली तीन मौद्रिक नीति समीक्षाओं में मुख्य नीतिगत ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है. उन्होंने मई 2022 से फरवरी 2023 तक दर में कुल 250 आधार अंकों की वृद्धि की थी, जिससे यह 6.5% हो गई थी.