Air travel news Covid Mahamari की चौथी लहर के बीच इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू करने पर विचार हो सकता है। क्योंकि एक संसदीय समिति के कुछ सदस्यों ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा के ऊंचे किराये पर चिंता जताई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Covid Mahamari की चौथी लहर के बीच इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू करने पर विचार हो सकता है। क्योंकि एक संसदीय समिति के कुछ सदस्यों ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा के ऊंचे किराये पर चिंता जताई और नागर विमानन मंत्रालय को अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों को फिर से शुरू करने पर विचार करने का सुझाव दिया।
सूत्रों ने कहा कि परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति के सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बढ़ते किराये को लेकर मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ भी की। बता दें कि महामारी के चलते अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों के निलंबन को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, वंदे भारत मिशन और द्विपक्षीय एयर बबल व्यवस्था के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानें मई, 2020 से संचालित की जा रही हैं।
नागर विमानन सचिव राजीव बंसल, नागर विमानन महानिदेशक और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अध्यक्ष ने शुक्रवार को संसदीय समिति के सामने अपना पक्ष रखा। सूत्रों ने कहा कि समिति के सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की ऊंची दरों और दो घंटे से कम समय की घरेलू उड़ानों में भोजन और पेय नहीं परोसे जाने के बारे में पूछताछ की।
इससे पहले केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि अगर घरेलू हवाई यात्रा (Domestic Airline) के लिए किराए की सीमा नहीं बढ़ाई गई तो भारत में विमानन कंपनियों के लिए दिक्कत पैदा हो जाएगी, क्योंकि तेल (Oil) की कीमत बीते 8 महीनों में 22 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं। उन्होंने कहा था कि देश में विमानन कंपनियों की कुल लागत संरचना में विमानन ईंधन (FTA) की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है। घरेलू हवाई यात्रा इस साल 12 अगस्त को महंगी हो गई, जब उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू किराए पर निचली और ऊपरी सीमा को बढ़ा दिया था।
मंत्रालय ने 40 मिनट तक की अवधि वाली उड़ानों के लिए निचली सीमा को 2,600 रुपये से 11.53 प्रतिशत बढ़ाकर 2,900 रुपये कर दिया था। इन उड़ानों के लिए ऊपरी सीमा को 12.82 प्रतिशत बढ़ाकर 8,800 रुपये कर दी गई। सिंधिया ने कहा कि देखिए FTA की कीमतों का क्या हुआ है। पिछले आठ महीनों में तेल की कीमतें 22 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 85 डॉलर हो गई हैं। इसलिए, विमानन कंपनियों की लागत चार गुना बढ़ गई है।