नई दिल्ली। सरकारी पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी ने सितंबर, 2021 को समाप्त तिमाही के लाभ में 565 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि जरूर हासिल की है। लेकिन तेल व गैस उत्पादन में इस कंपनी का प्रदर्शन लगातार पिछड़ता जा रहा है। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक कंपनी के क्रूड उत्पादन में लगातार गिरावट के बाद कोरोना काल में कंपनी का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं उससे चालू वर्ष (2021-22) के दौरान 2.92 करोड़ टन का लक्ष्य हासिल होना भी मुश्किल लग रहा है। ऐसे में कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 तक चार करोड़ टन कच्चा तेल उत्पादन का जो लक्ष्य रखा है, उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
ओएनजीसी के क्रूड यानी कच्चा तेल उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों के दौरान उम्मीद के अनुसार वृद्धि नहीं होने की वजह से भी देश उत्पादन में निर्धारित लक्ष्य से दूर होता जा रहा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक कच्चे तेल के आयात में 10 प्रतिशत की कमी करने का लक्ष्य रखा था। लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा दिए गए उत्तर के अनुसार वर्ष 2017-18 में ओएनजीसी का क्रूड उत्पादन 2.23 करोड़ मीट्रिक टन था जो वर्ष 2019-20 में घट कर 2.07 करोड़ टन रह गया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में क्रूड उत्पादन वित्त वर्ष 2011-12 में अपने 3.81 करोड़ टन के साथ सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा था। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट का ही रुख बना हुआ है। दूसरी तरफ देश में आयातित क्रूड की मात्रा लगातार बढ़ती रही है।
ऐसे में आयातित क्रूड पर निर्भरता मौजूदा 86 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य भी दूर की कौड़ी नजर आता है।इस तस्वीर को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने ओएनजीसी को कह है कि वह तेल उत्पादन में निजी क्षेत्र की कंपनियों का ज्यादा सहयोग लेने पर विचार करे। सरकार चाहती है कि ओएनजीसी अपने सबसे बड़े तेल क्षेत्रों में निजी सेक्टर की कंपनियों को बड़ी हिस्सदारी दे ताकि इनमें नए सिरे से निवेश हो सके और नई तकनीक लाई जा सके। हाल ही में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से ओएनजीसी को इस बारे में पत्र भी लिखा गया है।
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव तरूण कपूर ने भी पिछले दिनों इस तरह के संकेत दिए थे। उनके अनुसार सरकार का यह स्पष्ट तौर पर मानना है कि ओएनजीसी को घरेलू तेल क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करना है। सरकार सुझाव दे सकती है, लेकिन अंतिम फैसला ओएनजीसी बोर्ड को ही करना है।