EPFO Latest News-ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की सोमवार को हुई 232वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. इनमें ईपीएस-95 के निकासी नियमों में छूट, ईटीएफ रिडेंपशन पॉलिसी को मंजूरी और आनुपातिक पेंशन लाभ देने की सिफारिश शामिल हैं.
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नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अब उन ग्राहकों के लिए कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस-95) में जमा राशि की निकासी की अनुमति देने का फैसला किया, जो छह महीने से कम समय में सेवानिवृत होने वाले हैं. वर्तमान में, छह महीने से कम की सेवा शेष रहने वाले ईपीएफओ सदस्य केवल अपने कर्मचारी भविष्य निधि खाते (EPF) में जमा राशि ही निकाल सकते हैं.
श्रम मंत्रालय के एक बयान में के मुताबिक, केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में ईपीएफओ के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की सोमवार को हुई 232वीं बैठक में सरकार से ईपीएस-95 योजना में संशोधन करने की सिफारिश की है. इसमें ईपीएस में जमा पैसे को समय से पहले निकासी की अनुमति देने की सिफारिश भी शामिल है. सीबीटी ने ईपीएफओ की सूचना सुरक्षा नीति के साथ-साथ सर्वर डेटाबेस और डेटाबेस लाइसेंस के भंडारण और खरीद के लिए आईटी हार्डवेयर की खरीद के लिए एक सामान्य नीति बनाने को भी मंजूरी दी है.
आनुपातिक पेंशन लाभ देने की सिफारिश
बोर्ड ने उन सदस्यों के लिए आनुपातिक पेंशन लाभ देने की सिफारिश की है जो इस योजना में 34 से अधिक वर्षों से हैं. आनुपातिक पेंशन लाभ देने की सिफारिश पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति लाभ के निर्धारण के समय उच्च पेंशन प्राप्त करने में मदद मिलेगी. बोर्ड ने छूट देने या ईपीएस-95 से छूट को रद्द करने के मामलों में न्यायसंगत हस्तांतरण मूल्य गणना को सक्षम करने की सिफारिश की है. बोर्ड ने ईपीएफ योजना से छूट को सरेंडर/रद्द करने के 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी.
ईटीएफ रिडेंपशन पॉलिसी को भी मंजूरी
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) इकाइयों में इसके निवेश के लिए एक रिडेंपशन पॉलिसी को भी मंजूरी दी गई है. बोर्ड ने 2022-23 के लिए ब्याज दर की गणना के लिए आय में शामिल किए जाने वाले पूंजीगत लाभ की बुकिंग के लिए कैलेंडर वर्ष 2018 की अवधि के दौरान खरीदी गई ईटीएफ इकाइयों के मोचन (रिडेंपशन) को भी मंजूरी दी.
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इन कार्यों को भी मिली मंजूरी
वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफ योजना 1952, ईपीएस योजना 1995 और कर्मचारी जमा लिंक बीमा (EDLI) योजना 1976 के संबंध में लेखापरीक्षित वार्षिक लेखा के साथ-साथ संसद में रखने के लिए लेखा परीक्षा रिपोर्ट को भी मंजूरी दी गई.
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