पीटीआई, नई दिल्ली। भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे जेपी ग्रुप की फ्लैगशिप फर्म जयप्रकाश एसोसिएट्स 4,616 करोड़ रुपये के लोन पर डिफॉल्ट कर गई है। इस रकम में प्रिंसिपल और इंटरेस्ट, दोनों अमाउंट शामिल हैं।
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कंपनी ने सोमवार देर शाम एक रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) 30 अप्रैल को 1,751 करोड़ रुपये के प्रिंसिपल अमाउंट और 2,865 करोड़ रुपये के इंटरेस्ट को चुकाने में नाकाम रही है।
29,805 करोड़ रुपये की उधारी
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने कहा, ‘कंपनी पर ब्याज समेत कुल 29,805 करोड़ रुपये की उधारी है। इसे 2037 तक चुकाया जाना है। अब कंपनी पर सिर्फ 4,616 करोड़ रुपये ही बकाया है।’ कंपनी ने अलग-अलग बैंकों से कर्ज ले रखे हैं। इनमें वर्किंग कैपिटल, टर्म लोन और FCCB यानी फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बॉन्ड्स शामिल हैं।
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने बताया कि कुल 29,805 करोड़ रुपये की उधारी में से 18,955 करोड़ रुपये प्रस्तावित स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) को ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके लिए प्रस्ताव नेशनल कंपनी ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास लंबित है, जिसे सभी शेयरधारकों की मंजूरी मिल चुकी है। पूरा लोन किसी ना किसी स्थिति में रिस्ट्रक्चरिंग की प्रक्रिया में है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने कहा, ‘कंपनी एक कर्जदार के रूप में अपनी जिम्मेदारी को समझती है। यही वजह है कि हम उधारी घटाने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। सीमेंट कारोबार के प्रस्तावित विनिवेश और विचाराधीन पुनर्गठन के बाद हमारी उधारी तकरीबन शून्य हो जाएगी।
क्या दिवालिया होगी कंपनी?
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने यह भी कहा कि आईसीआईसीआई बैंक ने कंपनी के खिलाफ दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) 2016 की धारा 7 के तहत आरबीआई के निर्देश पर एनसीएलटी इलाहाबाद से संपर्क किया था। कंपनी ने बैंक के इस कदम का विरोध किया है।
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भारतीय स्टेट बैंक ने भी कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी इलाहाबाद के समक्ष दिवालिया प्रक्रिया के लिए याचिका दायर की है।
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