SEBI IPO Rules:बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने वाली कंपनियों के लिए नियमों में बदलाव किया है। इसके कहत बिक्री पेशकश (OFS) को लेकर अहम बदलाव किए गए हैं। इसके अनुसार OFS के आकार में किसी भी बदलाव के लिए नए सिरे से फाइलिंग की जरूरत होगी।
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जो सिर्फ रुपये में निर्गम के आकार या शेयरों की संख्या पर ही आधारित होगी।भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक अधिसूचना में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। इसके अलावा सेबी ने बैंक हड़ताल जैसी अप्रत्याशित घटनाओं के कारण बोली बंद करने की तारीख को न्यूनतम तीन दिन की वर्तमान आवश्यकता के बजाय न्यूनतम एक दिन बढ़ाने का प्रावधान किया है।
क्या हुए बदलाव
अधिसूचना के मुताबिक, निर्गम के बाद इक्विटी शेयर पूंजी का पांच प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखने वाली प्रमोटर्स ग्रुप की इकाइयों और गैर-व्यक्तिगत शेयरधारकों को प्रमोटर के रूप में चिह्नित किए बगैर ‘न्यूनतम प्रवर्तक अंशदान’ (MPC) में आई कमी की भरपाई की अनुमति दी जा सकती है।
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उद्यमियों द्वारा प्रवर्तित कंपनियां शेयर बाजारों पर अपने शेयरों को सूचीबद्ध करने से पहले फाइनेंस के कई दौर से गुजरती हैं। ऐसी स्थितियों में, प्रवर्तकों की इक्विटी हिस्सेदारी पेशकश के बाद न्यूनतम प्रवर्तक अंशदान यानी 20 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी से कम हो सकती है।
हालांकि, पूंजी और खुलासा प्रावधान (ICDR) का मौजूदा नियम कुछ श्रेणियों के निवेशकों को इस कमी की दिशा में अंशदान की अनुमति दी गई है लेकिन अब इस अधिसूचना के जरिये इसमें लचीलापन लाने की कोशिश की गई है।
इसके अलावा, आईपीओ की मंजूरी के लिए सेबी के समक्ष दस्तावेजों का मसौदा (DRHP) दाखिल करने से पहले के एक साल में रखे गए अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के रूपांतरण से हासिल इक्विटी शेयरों को भी एमपीसी जरूरतें पूरी करने के लिए विचार किया जा सकता है।
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सेबी ने 17 मई को जारी इस अधिसूचना में बैंक हड़ताल जैसी अप्रत्याशित घटनाओं के कारण बोली बंद करने की तारीख को न्यूनतम तीन दिन की वर्तमान आवश्यकता के बजाय न्यूनतम एक दिन बढ़ाने का प्रावधान किया है।इन प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने आईसीडीआर नियमों में संशोधन किया है।