करीब दो माह की पड़ताल के बाद आंध्रप्रदेश के अपराध अनुसंधान विभाग सीआईडी ने एपी स्टेट फाइबरनेट लिमिटेड में हुए 321 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली।
फाइबरनेट प्रोजेक्ट के तहत आंध्रप्रदेश के हर घर में टेलीफोन व इंटरनेट सेवा पहुंचाने का कार्य शुरू किया गया है। यह केंद्र सरकार की भारत नेट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। केंद्र ने इसके लिए आरंभिक रूप से 3840 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराई थी। यह मदद नेशनल आप्टिक फाइबर नेटवर्क के अंतर्गत दी गई थी।
नौ सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर की प्रतिलिपि शनिवार को सार्वजनिक की गई। इसमें दो कंपनियों और 16 लोगों के बतौर आरोपी के रूप में नाम हैं। शिकायत एपीएसएफएल के चेयरमैन पी. गौतम रेड्डी ने दर्ज कराई है।
सीआईडी ने कहा कि ई-गवर्नेंस अथॉरिटी के शासी निकाय के तत्कालीन सदस्य वेमुरी हरिकृष्ण प्रसाद ने टेरा सॉफ्टवेयर लिमिटेड के साथ मिलीभगत कर इस कंपनी को अवैध रूप से 321 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाया। जबकि कंपनी के पास यह टेंडर पाने की आवश्यक पात्रता नहीं थी।
वेमुरी कुमार के अलावा सीआईडी ने इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन के तत्कालीन एमडी के. संबाशिवा राव, टेरा सॉफ्टवेयर के चेयरमैन एसएसआर कोटेश्वरराव, एमडी टी. गोपी चंद व छह अन्य निदेशकों को भी आरोपी बनाया है। इनके अलावा एक अन्य कंपनी हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लि. के छह अन्य निदेशकों को भी आरोपियों के रूप में नामजद किया गया है। कई अज्ञात सरकारी अधिकारी भी केस में आरोपी बनाए गए हैं।