नई दिल्ली, पीटीआइ। निर्यात इकाइयों के शीर्ष संगठन फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) ने कहा है कि वह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए उत्पादों और बाजारों पर ध्यान केंद्रित करेगा। फियो के प्रेसिडेंट ए. शक्तिवेल ने कहा कि अक्टूबर तक आर्डर बुकिंग की स्थिति उत्साहजनक है, लेकिन नकदी संकट और नीतिगत मोर्च पर अनिश्चतता के चलते निर्यातक आगे आर्डर लेने की स्थिति में नहीं हैं। संगठन की वार्षिक आमसभा में शक्तिवेल ने कहा, ‘वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में कंटेनरों की कमी, शिपिंग लाइनों के बार-बार बंद होने और अत्यधिक माल ढुलाई दरों का मुद्दा उठाया गया है। इन दिक्कतों के चलते निर्यात पर प्रभाव पड़ रहा है।’
उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष जो अन्य मुद्दे उठाए गए, उसमें निर्यात और घरेलू आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने के लिए कच्चे माल की निर्यात नीति को युक्तिसंगत बनाना शामिल है। फियो ने कहा कि माल ढुलाई दरों में 300 से 350 फीसद की वृद्धि चिंता का विषय है। दक्षिण अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका के कुछ देशों के लिए इन दरों को 500 फीसद तक बढ़ाया गया है। संगठन ने मांग की है कि जब तक माल ढुलाई की दरें कम नहीं होती हैं, तब इन पर सब्सिडी दी जाए।
इस बीच, एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फार हैंडीक्राफ्ट (ईपीसीएच) ने सोमवार को सरकार से एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम रोडटेप के तहत टैक्स रिफंड की दरों पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। फिलहाल यह विभिन्न उत्पादों के लिए केवल 0.7 फीसद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मीटिंग में ईपीसीएच के प्रेसिडेंट राजकुमार मल्होत्रा ने अन्य मुद्दे भी उठाए।
चर्म उत्पाद इकाइयों को भी मिले पीएलआइ स्कीम का लाभ
सीएलईचर्म निर्यात परिषद (सीएलई) ने सरकार से आग्रह किया है कि पीएलआइ स्कीम को चमड़ा, चमड़ा उत्पादों और फुटवियर क्षेत्र तक बढ़ाया जाए। संगठन ने कहा है कि ऐसा करने से ना केवल घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा बल्कि नए रोजगार पैदा होने के साथ निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 13 सेक्टरों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआइ स्कीम घोषित की है। इनमें कपड़ा, आटो, इस्पात, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं। इसका उद्देश्य घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।