नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Air India से अब सरकारी बाबू मुफ्त में हवाई यात्रा नहीं कर पाएंगे। क्योंकि Tata Sons के पास एयरलाइन का मालिकाना हक जाने के बाद उसने सरकारी अफसरों को क्रेडिट फैसिलिटी देना बंद कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने भी सभी मंत्रालयों और विभागों से कर्ज में डूबी एयर इंडिया का बकाया तुरंत चुकाने और अब से केवल नकद में टिकट खरीदने को कहा है।
सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एयर इंडिया को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को 18,000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने 2009 के एक आदेश में कहा था कि एलटीसी सहित हवाई यात्रा (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों) के मामलों में, जहां भारत सरकार हवाई मार्ग की लागत वहन करती है, अधिकारी केवल एयर इंडिया से यात्रा कर सकते हैं।
भारत सरकार में डायरेक्टर निर्मला देव ने कहा कि एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के विनिवेश की प्रक्रिया जारी है, और एयरलाइन ने हवाई टिकटों के लिए ऋण सुविधाएं बंद कर दी हैं। विभाग ने ऑफिस मेमोरेंडम में कहा कि इसलिए, सभी मंत्रालयों/विभागों को एयर इंडिया का बकाया तुरंत चुकाने का निर्देश दिया जाता है। अगले निर्देश तक एयर इंडिया से हवाई टिकट नकद में खरीदें।
टाटा संस ने इस विमानन कंपनी की स्थापना 90 साल पहले की थी। समूह ने उसे खरीदने के लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली। सरकार ने इसी महीने टाटा संस की बोली को मंजूरी दी है। सरकारी कंपनियों के निजीकरण की जिम्मेदारी संभालने वाले केंद्र सरकार के निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बीते दिनों कहा था कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की एक विशेष इकाई (एसपीवी) सफल बोलीदाता के रूप में उभरी। एयर इंडिया के अधिग्रहण की दौड़ में टाटा संस ने स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की अगुवाई वाले समूह को पीछे छोड़ दिया था।