नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मौजूदा वक्त में त्योहारों का मौसम चल रहा है। ऐसे में आप में से कई लोगों ने अपनी शॉपिंग की अच्छी खासी लिस्ट तैयार करके जरूर ही रखी होगी। त्योहारों के वक्त कई सारे प्रोडक्ड्स पर काफी लुभावने और शानदार ऑफर्स भी उपलब्ध रहते हैं। कई सारे लोग शॉपिंग या खरीददारी करते वक्त क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते हैं।
हालांकि, कई सारे लोग क्रेडिट कार्ड के प्रयोग करते वक्त यह भूल जाते हैं कि, उनको बाद में अपने बिल का भुगतान करना ही होता है। कई बार लोगों को अपनी क्रेडिट कार्ड लिमिट का अंदाजा भी नहीं चल पाता है। ऐसे में लोग क्रेडिट कार्ड डेब्ट या उधारी में भी फंस जाते हैं। यहां पर हम आपको क्रेडिट कार्ड को सबसे बेहतर तरीके से किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, इस बारे में बताने जा रहे हैं।
अपनी जरूरत के हिसाब से क्रेडिट कार्ड का चुनाव
आपको कई बार बैंकों की तरफ से क्रेडिट कार्ड लेने की पेशकश की जाती होगी। लेकिन आपको हमेशा क्रेडिट कार्ड लेने से पहले यह देख लेना चाहिए कि क्या वह आपकी जरूरतों के हिसाब से है या नहीं। इसके अलावा आपको अपनी क्रेडिट कार्ड की लिमिट भी उतना ही तय करना चाहिए, जिसे की आप बेहद आसानी से चुका सकें।
प्लान्ड शॉपिंग और खर्चों का अनुमान
आपको यह जरूर तय कर लेना चाहिए कि पूरे महीने में आप क्रेडिट कार्ड के जरिए किन चीजों का भुगतान करेंगे। इससे आपको क्रेडिट कार्ड के खर्चों का हिसाब लगाने में बेहद ही आसानी और मदद होगी। जैसे कि आप महीने के शुरू होने से पहले ही यह तय कर लें कि आपको क्रेडिट कार्ड भुगतान के माध्यम से किन किन उत्पादों की खरीददारी करना है।
ऑफर्स का लाभ उठाना
त्योहारी सीजन के वक्त कई सारे ब्रांड और प्रतिठान अपने उत्पादों पर कई सारे आकर्षक छूट और ऑफर्स की पेशकश करते हैं। इसके अलावा इन दिनों में खरीददारी करने पर आपको कई सारे रिवार्ड प्वाइंट्स और डिस्काउंट का फायदा भी मिलता है। साथ ही आपको त्योहारी सीजन में क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीददारी करने पर काफी कम या जीरो इंट्रेस्ट रेट पर EMI का लाभ भी मिलता है।
आखिरी डेट से पहले ही पेमेंट करना
हालांकि बैंक आपके बिलों को चुकाने के लिए या तो 45 दिन या 50 दिन का समय देते हैं, लेकिन हमेशा यह सलाह दी जाती है कि देय तिथि से पहले किसी विशेष बिलिंग अवधि में अपनी सभी बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाय। यदि आप देय तिथि के भीतर पूरी बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं तो शेष राशि पर पूरी अवधि के लिए ब्याज देना पड़ सकता है।