सभी बैंक खाता धारकों को, चेक बाउंस से जुड़े नियमों का पता होना चाहिए. जानिए किन कारणों से आपका चेक बाउंस हो सकता है. और कब चेक बाउंस के लिए सजा का प्रावधान है.
डिजिटल माध्यमों से पेमेंट के ऑप्शन मौजूद हैं. लेकिन चेक पेमेंट एक सुरक्षित माध्यम है. चेक के द्वारा पैसों का लेन-देन सालों से चला आ रहा है. लेकिन चेक पेमेंट करते समय आपको सावधानी से अपनी जानकारी भरना चाहिए. अगर चेक बाउंस होता है, तो व्यक्ति को कुछ पेनल्टी देना होती है. साथ ही कुछ गंभीर मामलों में सजा का भी प्रावधान है.
चेक बाउंस का क्या होता है मतलब
जब किसी कारण से बैंक, चेक को रिजेक्ट कर देता है और पेमेंट नहीं हो पाता है तो इसे चेक बाउंस होना कहते हैं. ऐसा होने का कारण ज्यादातर अकाउंट में बैलेंस ना होना होता है. इसके अलावा अगर व्यक्ति के सिग्नेचर में अंतर है तो भी बैंक चेक को रिजेक्ट कर देता है.
लीगल नोटिस भी भेजा जा सकता है
चेक बाउंस होने की स्तिथि में आपको, उस देनदार व्यक्ति को इसकी जानकारी देना होती है. जिसके बाद उसे 1 महीने के भीतर आपको पेमेंट करना बेहद जरूरी है. ऐसा ना करने की स्तिथि में व्यक्ति को लीगल नोटिस भेजा जाता है. उसके बाद भी अगर 15 दिन तक कोई जवाब नहीं दिया जाता है तो उसके खिलाफ Negotiable Instrument Act 1881 के सेक्शन 138 के तहत केस रजिस्टर किया जा सकता है.
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2 साल तक की हो सकती है सजा
चेक बाउंस होने को एक दंडनीय अपराध माना जाता है. और ऐसा होने पर जुर्माना, और 2 साल की सजा दोनों का प्रावधान है. इसके खिलाफ धरा 138 के तहत केस दर्ज किया जाता है. जिस व्यक्ति का चेक बाउंस हुआ है उसे 2 साल की सजा के साथ ब्याज सहित रकम देनी होती है. यह जुर्माने की रकम कितनी बार चेक बैंक द्वारा लौटाया गया है इस पर भी निर्भर करती है.