आने वाले दिनों में बिहार में शराबबंदी का उल्लंघन करने पर दंड के प्रावधान बदल सकते हैं। इसके लिए नीतीश सरकार बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम में संशोधन की तैयारी कर रही है। आगे अपराध की गंभीरता के आधार पर केवल जुर्माना या जेल अथवा जुर्माना और जेल दोनों के दंड मिल सकते हैं। कतिपय साधारण मामलों में राहत देने पर भी विचार चल रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से शराबबंदी कानून के प्रावधानों को लेकर भाजपा और जेडीयू के बीच खटास बढ़ रही थी। नालंदा शराब कांड के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट के जरिए सवाल उठाया था कि क्या इस घटना में मृत लोगों के परिवारों के खिलाफ भी एक्शन होगा।
मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम-2016 में संशोधन का प्रारंभिक खाका तैयार किया है। इसे विचार के लिए गृह विभाग के पास भेजा गया है। वहां से सहमति मिलने या सुझाए संशोधन के आधार पर प्रारंभिक खाके में फिर से बदलाव किया जाएगा। इसके बाद विधि विभाग और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद अंतिम रूप से तैयार किया जाएगा। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो आगामी बजट सत्र में इसे पेश भी किया जा सकता है। अपर मुख्य सचिव केके पाठक के स्तर से प्रस्तावित संशोधन पर सूक्ष्मता से विचार किया जा रहा है।
शराब बेचने और पीने पर अलग-अलग कोर्ट
बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के प्रस्तावित संशोधन में शराब बेचने और पीने के आरोप में पकड़े गए लोगों के लिए अलग-अलग कोर्ट स्थापित करने के प्रावधान पर भी विचार चल रहा है। अलग-अलग मामलों में आपराधिक और दीवानी प्रक्रिया के तहत मुकदमों का त्वरित निष्पादन किया जाएगा। हर जिले में ऐसे मामलों के लिए विशेष कोर्ट स्थापित करने की भी तैयारी चल रही है हाल के दिनों में शराबबंदी कानून को लेकर आई सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की टिप्पणी के कारण भी शराबबंदी कानून से जुड़े कतिपय प्रावधानों पर विचार किया जा रहा है।