रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर चल रहा है. भारतीय बाजार में 2702 अंक गिरावट के साथ ही रूसी बाजार भी 50% डाउन रहा. आखिर शेयर मार्केट कि गिरना-उतरना कैसे होता है. आइए बताते हैं
नई दिल्ली: यूक्रेन (Ukraine) को लेकर पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में जारी संकट का असर अब चौतरफा देखने को मिल रहा है. शेयर बाजार से लेकर क्रूड तक की हालत खराब दिख रही है. तृतीय विश्वयुद्ध की तरफ संकेत करती हुई इस स्थिति से दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर चल रहा है. भारतीय बाजार में 2702 अंक गिरावट के साथ ही रूसी बाजार भी 50% डाउन रहा. ऐसे में आज दलाल स्ट्रीट पर ‘ब्लैक फ्राइडे’ (Black Friday) होने का संकेत दिख रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शेयर मार्केट गिरा
लेकिन कभी आपने सोचा है कि किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय घटना के बाद शेयर मार्केट पर असर क्यों पड़ता है. अगर कहीं युद्ध या तनाव जैसी स्थिति होती है, तो शेयर मार्केट नीचे गिरता है, वहीं चुनाव या अन्य किसी बड़ी घटना के बाद कई बार मार्कट ऊपर भी चढ़ता है. आखिर शेयर मार्केट कि गिरना-उतरना कैसे होता है. आइए बताते हैं.
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देशों के संबंधों के हिसाब से पैसे लगाते हैं निवेशक
आम समझ यह है कि जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है. इसके साथ ही कई अन्य वजहें भी हैं, जिनकी वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव आता है. अगर दो देशों के बीच कारोबारी और रणनीतिक संबंध बेहतर बनने की उम्मीद हो तो अर्थव्यवस्था की तरक्की के हिसाब से निवेशक शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं.
इन कारणों का भी पड़ता है असर
- भारत कृषि प्रधान देश है. अगर मौसम विभाग मानसून की अच्छी बारिश का अनुमान लगाता है, तो शेयर बाजार में तेजी आती है. निवेशक यह अनुमान लगाते हैं कि अच्छी बारिश से अनाज का ज्यादा उत्पादन होगा. मतलब यह कि कृषि आधारित उद्योग की तरक्की ज्यादा होगी.
- इन उद्योग में ट्रैक्टर, खाद, बीज, कीटनाशक, बाइक एवं FMCG कंपनियां शामिल हैं. निवेशकों को लगता है कि इन कंपनियों का कारोबार और मुनाफा बढ़ेगा. इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयरों की खरीदारी बढ़ जाती है.
- यदि रिजर्व बैंक मैद्रिक नीति की घोषणा में ब्याज दर में कमी करें तो कर्ज की दर सस्ती होगी. इससे बैंक से लोन लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और अंत में बैंकों का लाभ बढ़ेगा. इस वजह से निवेशक बैंक एवं NBFC के शेयरों की खरीदारी करते हैं और उनके भाव में तेजी आती है.
- RBI की मौद्रिक समीक्षा (ब्याज दर में कमी या वृद्धि), सरकार की राजकोषीय नीति (कर की दरों में तेजी-नरमी), वाणिज्य नीति, औद्योगिक नीति, कृषि नीति आदि में किसी बदलाव की वजह से इन क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.
- अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम भी शेयरों के भाव पर असर डालते हैं. जैसे रूस-यूक्रेन विवाद, भारत-चीन विवाद की वजह से निवेशक शेयर से पैसे निकाल कर सोने में निवेश करते हैं. इस वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.
- बजट पेश करने के दौरान की गयी सरकार की पॉजिटिव या निगेटिव घोषणाओं की वजह से भी शेयरों के भाव ऊपर-नीचे होते हैं.
- देश में राजनीतिक स्थिरता (बहुमत की सरकार या गठबंधन की), राजनीतिक वातावरण जैसे कारण भी निवेशकों के निर्णय को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. राज्यों के विधानसभा नतीजे भी शेयर बाजार पर असर डालते हैं. मौजूदा सरकार की जीत से उसकी नीतियों के जारी रहने का भरोसा बना रहता है, इससे निवेशक खरीदारी शुरू करते हैं जिससे बाजार में तेजी आती है.